न वे यात्रा के स्वागत कार्यक्रम में दिखे, न ही मंच पर। पूछा तो यात्रा प्रबंधकों ने बताया कि तबीयत ठीक नहीं होने से वे सभा में नहीं आ सके। गौतमेश्वर धाम में सभा के बाद वसुंधरा की यात्रा प्रतापगढ़ के लिए रवाना हुई थी, लेकिन कटारिया सबसे पहले रवाना हो गए।
वे कार से रात 8:25 बजे प्रतापगढ़ पहुंच गए थे। यहां एमजी रोड स्थित एक कार्यालय पर उनके समर्थकों ने उनका मालाओं व आतिशबाजी से स्वागत किया, लेकिन वे सभा में नहीं पहंचे। इस घटना की सभा में खूब चर्चा रही।
जिन्हें आना था वे सभी आ गए : वसुंधरा
कटारिया और उनके समर्थकों के नदारद रहने के बारे में पूछा गया तो वसुंधरा राजे ने कहा कि जिन्हें आना था वे सभी आ गए। इतना कहकर वे अपनी कार में बैठ रवाना हो गईं।
कुंभकर्णी नींद में सोई थी सरकार
घाटोल(बांसवाड़ा) में वसुंधरा ने कहा कि मुख्यमंत्री जनहित के कामों में नहीं, परिजन हित के कामों में जुटे हैं। सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई थी। चुनाव निकट आए तो गहलोत घोषणाएं कर रहे हैं, लेकिन कोई इनसे पूछे तो सही करोड़ों की घोषणाएं आखिर छह माह में पूरी कैसे करेंगे?
जब साढ़े चार साल में घोषणाएं पूरी नहीं हुईं तो अब कैसे होंगी? यह लोगों के साथ छलावा है। और तो और ये सरकार अब जात-पात पर खिलाडिय़ों को बांट रही हैं।
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