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15 अप्रैल 2013

अल्पसंख्यक आयोग का खुलासा: केवल दीनी तालीम नहीं है मदरसों में पढ़ने वालों की चाहत!


अल्पसंख्यक आयोग का खुलासा: केवल दीनी तालीम नहीं है मदरसों में पढ़ने वालों की चाहत!
नई दिल्ली. राजधानी के 70 फीसदी मदरसे अपने बच्चों को इंग्लिश, मैथ्स और साइंस पढ़ाना चाहते हैं। दिल्ली के 446 मदरसों में से 314 मदरसों ने मजहबी तालीम के साथ आधुनिक तालीम को अपनाने की हामी भरी है।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की ओर से कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। सर्वे के मुताबिक 103 मदरसों ने आधुनिकीकरण के लिए 'न' कहा और 29 मदरसों ने सर्वे में कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।
आयोग को सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट मिल गई और इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। जून के पहले हफ्ते में यह रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी। इन मदरसों में 14114 रेजिडेंशियल और 29260 नॉन-रेजिडेंशियल छात्र पढ़ाई करते हैं।
आयोग ने राजधानी के मदरसों के हालात जानने के मकसद से यह सर्वे कराया था। सर्वे में कहा गया है कि राजधानी के मदरसों को सर्वशिक्षा अभियान व मिड डे मील जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। यदि इनका नियमन होगा तो वे इन स्कीमों का लाभ उठा सकते हैं। रिपोर्ट के निष्कर्षों की समीक्षा के बाद राजधानी में मदरसा बोर्ड बनाए जाने की कवायद भी जोर पकड़ सकती है।
दिल्ली में मदरसा बोर्ड न होने से सरकार की कई स्कीमों का लाभ मदरसों को नहीं मिल रहा है। आयोग के चेयरमैन सफदर एच. हाशमी का कहना है कि सर्वे कराए जाने के पीछे मकसद यही था कि मदरसों का नियमन हो और वहां दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी मुहैया कराई जाए ताकि वहां से निकलने वाले बच्चे देश दुनिया की मुख्यधारा से जुड़ सकें।

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