"हम
वर्ष में दो बार नौ देवियों की उपासना करते हैं ...वर्ष में दो बार
कन्याओं को 8 -8 दिन पूजते हैं . इस अवसर पर हर छह माह के अंतराल पर
प्रथमा से अष्ठमी तक आठ दिनों तक विभिन्न स्वरूपों में नारी शक्ति की
आराधना उपासना करते हैं ...कन्याओं के साथ साथ हम बालकों को भी भोजन और
भेंट देते हैं ...यह धर्म के स्वरुप में नारी प्रतीक शक्ति और नन्हें
नागरिकों के निर्माण का सामाजिक उत्सव है ...सामाजिक संकल्प है ...क्या हम
इसके प्रति ईमानदार हैं ? या यह महज एक पाखण्ड है ? ....भारत में नारी
प्रतीकों में सबसे ज्यादा "काली" की पूजा होती है किन्तु दुनियाँ में "Fair
& Lovely" का सबसे बड़ा बाजार भारत ही है ...हम पूजते काली को हैं और
खरीदते "फेयर एण्ड लवली" हैं बहू चाहिए गोरी ,पत्नी चाहिए गोरी ,फिल्म की
हीरोइन चाहिए गोरी ...हम साल में दो बार आठ-आठ बार यानी 16 दिन घर पर पूजते
बेटियों को हैं पर सड़क पर हमारी बेटियाँ फिर भी असुरक्षित हैं ...बलात्कार
की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है और हमारी बेटियाँ भी सरस्वती और गार्गी से
प्रेरणा नहीं ले रहीं पहनावे में उनकी प्रेरणा श्रोत हैं मल्लिका शेहरावत
,सन्नी लियोने,राखी सावन्त सरीखी मुम्बैया वेश्याएं ...जिस बंगाल में
दुर्गा पूजा की धूम दर्शनीय है उसकी ही राजधानी कलकत्ता में दुनियाँ के
सबसे बड़े वैश्यालय हैं ..."यस्य नारियंती पूज्यन्ते ..." के देश भारत की
बेटी विश्व की हर सातवीं बाल वैश्या है ...हर साल 50 लाख से अधिक दहेज़
हत्याएं हो रही हैं ...हम उस देश में नारी गरिमा का पाखण्ड करते हैं जहां
आज भी दूर देहात में महिलायें खुले में शौच जाने को अभिशिप्त हैं ....हम
अखण्ड पाखण्ड से उबरें ...नारी शक्ति को सामाजिक सम्मान और सुरक्षा दें
---दुर्गाष्ट्मीं /रामनवमीं के रूप में मनाये जाते शक्ति पर्व की शुभ
कामनाएं ." ----राजीव चतुर्वेदी
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