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12 अप्रैल 2013

वो जज्बों की तिजारत थी ये दिल कुछ और समझा था

वो जज्बों की तिजारत थी ये दिल कुछ और समझा था
उसे हंसने की आदत थी ये दिल कुछ और समझा था....
मुझे उसने कहा आओ नयी दुनिया बसाते हैं
उसे सूझी शरारत थी ये दिल कुछ और समझा था....
हमेशा उसकी आँखों में बहुत से रंग रहते थे
ये उसकी आम हालत थी ये दिल कुछ और समझा था....
वो मेरे पास बैठकर देर तक ग़ज़ल मेरी सुनता था
उसे खुद से मोहब्बत थी ये दिल और कुछ समझा था....
मेरे कंधे पे सर रखकर कहीं खो गए थे वो
ये वक़्त की इनायत थी ये दिल और कुछ समझा था....
मुझे वो देखकर अक्सर निगाहें फेर लेता था
ये दर पर्दा हकीकत थी ये दिल और कुछ समझा था....

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