अजमेर। देश की हाई रिस्क पर्सनालिटी के तौर पर पिछले 18 सालों
से हथियारबंद पुलिस सुरक्षा के घेरे में ख्वाजा साहब की दरगाह के
सज्जादानशीन दीवान जेनुअल आबेदीन पर पुलिस ने करीब 11 करोड़ रुपए की रिकवरी
निकाली है। दरगाह दीवान से यह वसूली निर्धारित कैटेगरी की सुरक्षा
व्यवस्था के अतिरिक्त पुलिस जवानों की सेवा के एवज में की जानी है।
चौकाने वाला तथ्य यह है कि केन्द्र सरकार ने 1998 में दरगाह दीवान की
सुरक्षा कैटेगरी जेड श्रेणी से घटा कर वाए श्रेणी कर दी थी, लेकिन पुलिस
महकमे ने इस आदेश की पालना नहीं की, नतीजतन दीवान की सुरक्षा में पिछले
सोलह साल से पांच पुलिस जवानों के बजाए 12 हथियारबंद जवान ड्यूटी बजाते
रहे।
निर्धारित कैटेगरी वाए श्रेणी से ज्यादा पुलिस जवानों की तैनाती की
गड़बड़ी पर किसी भी पुलिस अधिकारी ने नजरे इनायत नहीं की। पुलिस के एक
अफसर ने दीवान से ज्यादा जवानों की सेवाएं लेने के एवज में करीब 11 करोड़
रूपए वसूलने की अनुसंशा पुलिस प्रशासन से की है। दो महीने पहले पुलिस ने
अपनी गलती सुधारते हुए दीवान की सुरक्षा में लगे पुलिस जवानों की संख्या कम
की है।
मौजूदा एसपी गौरव श्रीवास्तव ने भी इस अनियमितता की पुष्टि की है,
लेकिन उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में नियमानुसार ही कार्य होगा।
गौरतलब है कि देशभर में कानून व्यवस्था के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने अभी
हाल ही में सख्त टिप्पणी कर राज्य सरकारों से वीआईपी ड्यूटी के नाम पर बड़ी
तादात में खपाए जा रहे पुलिस जवानों के बारे में ब्यौरा मांगा है।
दरगाह दीवान को पिछले 18 साल से दी जा रही सुरक्षा व्यवस्था भी इसलिए
प्रासंगिक है। सवाल यह भी खड़ा हुआ है कि 18 साल पहले दरगाह दीवान की कथित
असुरक्षा की परिस्थिति क्या आज भी बरकरार है? या फिर वे दूसरे वीआईपी की
तरह सुरक्षा कवच को अपनी शान और रौब दाब के लिए उपयोग कर रहे हैं?
पुलिस लाइन के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी ने दीवान की सुरक्षा में
नियमों के खिलाफ तैनात किए जा रहे पुलिस जवानों की संख्या और इसके एवल में
दीवान से वसूली किए जाने के बारे में कई बार आला अधिकारियों को शासकीय पत्र
के माध्यम से अवगत कराया, लेकिन पिछले तीन साल से पुलिस महकमे के किसी भी
अफसर इस तरफ आंखों मूंदे बैठे हैं। किसी ने दीवान से वसूली करने या फिर
अतिरिक्त तैनात पुलिस कर्मियों को हटाने की हिम्मत तक नहीं जुटाई।
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