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12 अप्रैल 2013

आज ही के दिन खेली गई 'खून की होली', बहा था देश के सपूतों का खून



ये एक दिल दहला देने वाली दास्तां है। एक ऐसी घटना जिसने भारतीय आवाम पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला। क्या अमीर क्या गरीब...क्या बड़ा क्या छोटा सबका खून खौल उठा था उस बर्बर शासन के खिलाफ जिसने इस तरह की घृणित घटना को अंजाम दिया था। अहिंसा के पुजारी  महात्मा गांधी का भी खून खौल उठा था इस घटना के बाद और ये वही घटना है जिसने भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारी को शहीद ए आजम बनने की ताकत दी वहीं इस उधम सिंह जैसे महान सपूत को जागृत किया जिन्होंने इस घृणित काम का बदला गोरों से उन्ही की धरती पर अंजाम दिया।  जी हां, बात हो रही है जलियांवाला बाग कांड की जो आज के ही दिन सन 1919 में घटित हुई थी। 
 
आज ही के दिन रॉलेट एक्ट की खिलाफत के लिए जलियांवाला बाग में जुटी शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही आवाम का जालिम गोरी हुकूमत ने बड़ी बेदर्दी से कत्ल-ए-आम कर दिया था। रौंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना की 94वीं बरसी पर इस घटना में मारे गए भारत के महान सपूतों को शत-शत नमन

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