ये एक दिल दहला देने वाली दास्तां है। एक ऐसी घटना जिसने भारतीय आवाम
पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला। क्या अमीर क्या गरीब...क्या बड़ा क्या छोटा सबका
खून खौल उठा था उस बर्बर शासन के खिलाफ जिसने इस तरह की घृणित घटना को
अंजाम दिया था। अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का भी खून खौल उठा था इस
घटना के बाद और ये वही घटना है जिसने भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारी को
शहीद ए आजम बनने की ताकत दी वहीं इस उधम सिंह जैसे महान सपूत को जागृत किया
जिन्होंने इस घृणित काम का बदला गोरों से उन्ही की धरती पर अंजाम दिया।
जी हां, बात हो रही है जलियांवाला बाग कांड की जो आज के ही दिन सन 1919 में
घटित हुई थी।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 अप्रैल 2013
आज ही के दिन खेली गई 'खून की होली', बहा था देश के सपूतों का खून
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