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28 अप्रैल 2013

उसके पैरों की पायल

उसके पैरों की पायल
खनकती आवाज
दूर से ही सुनाई पड़ जाती
उसके घुंघरू
जब भी बोलते
लगता मानो
पूरी कायनात
खिलखिला रही है
दिल झूम उठता
मैं बाहें फैलाए
उसके आलिंगन
को बेताब हर दिन
ठीक वैसे ही
जैसे आज ही हो
मेरा पहला मिलन
याद कर वो बीते पल
ढलक आते हैं क्यूँ
ये बुलबुले और
धुंधला जाती हैं क्यूँ
ये आँखें
क्यों खुद को
रोका नहीं जाता और
भावनाओं में बंध
हर बार उसकी
पायलों पर हाथ
पहुँच जाता है मेरा
उन बजती पायलों में
उसके होने का अहसास
बहुत सुकून दे जाता है
और भावनाओं में बह जाते हैं
आवेग के साथ कुछ आंसू
और मिल जाता है सूकून
उसके साथ कुछ पल बिताने का..अंजना

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