आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

28 अप्रैल 2013

दर्ज़ा, वो मकाम ‘हुनर-ओ-फन’ चाहिए

दर्ज़ा, वो मकाम ‘हुनर-ओ-फन’ चाहिए
हमदर्दी नहीं ... तुम्हारी जलन चाहिए

दोस्तों से .... जी भर गया .. अब बस
हमें कायदे का .... एक दुश्मन चाहिए

साथ इज्ज़त के ... जिंदा रहने के लिए
हौसला जिगर में, सर पे कफन चाहिए

सूझ रहा है कोई खेल .... नया शायद
दिल हमारा उन्हें ... दफ’अतन चाहिए

जो कहते है खुद को आइना समाज का
दिखाने को उन्हें .... एक दरपन चाहिए

बोझ दिल का हल्का करने को ‘अमित’
शायरी में ..…… और .. वज़न चाहिए

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...