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28 अप्रैल 2013

पत्रकारों को अख़बार का शीर्षक लेने से लेकर घोषणा पत्र भरने और फिर अख़बार प्रकाशन से वितरण प्रणाली तक जिन तकलीफों परेशानियों का सामना करना पढ़ता है

पत्रकारों को अख़बार का शीर्षक लेने से लेकर घोषणा पत्र भरने और फिर अख़बार प्रकाशन से वितरण प्रणाली तक जिन तकलीफों परेशानियों का सामना करना पढ़ता है उसमे से अगर कुछ मामलो में पुलिस और प्रशासन संवेदनशील बन जाए तो पत्रकारों को काफी दिक्क़तों से नुजात मिल जायेगी ...उक्त उदगार प्रकट करते हुए आज यहाँ आयोजित पत्रकारिता समस्या समाधान विषय पर संगोष्ठी में बोलते हुए इलेक्ट्रोनिक मिडिया कोटा के जिला अध्यक्ष रजत खन्ना ने कहा के कोटा में आये दिन पत्रकारों के अपमान की खबरें आती है उससे मन आहत होता है ..खन्ना आज पत्रकार मित्र मंडल द्वारा आयोजित गोष्ठी में अध्यक्ष पद से बोल रहे थे ....रजत खन्ना ने कहा के कोटा में शीर्षक लेने के लियें आवेदन करते वक्त पत्रकारों को परेशान किया जाता है फिर घोषणा पत्र की पुलिस जांच के नाम पर उत्पीडन का शिकार होना पढ़ता है ..रजत खन्ना ने पत्रकारों की कई परेशानियों का करना प्रशासन और पुलिस के मनमानी भी बताया .................गोष्ठी में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए कोटा नगर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लक्ष्मण गोड ने कहा के उन्हें पुलिस रवय्ये की आज ही शिकायत मिली है वोह वायदा करते है के भविष्य में पत्रकारों के घोषणा पत्र और अधीस्वीकरण जाँच को सरलीकरण कर संवेदन्शीलता बरती जाएगी ......लक्ष्मण गोड़ ने कहा के एक तरफ तो कोटा के न्यायिक अधिकारी मनीष  अग्रवाल बेठे है और दूसरी तरफ पत्रकार साथी है कुछ बोलूँगा तो न्यायालय स्वप्रेरित प्रसंज्ञान  का दर है और पत्रकारों के खिलाफ मुंह से निकल गया तो कल पत्रकार मेरी सेवा कर  देंगे उन्होंने कहा के यह तो हुई मजाक की बात लेकिन हकीक़त यह है के कोटा शहर के पत्रकारों का मुझे बेहद प्यार मिला है उन्होंने  व्यक्तिगत जब भी अवसर आया है मेरा साथ दिया है मेरा सम्मान किया है और पचास महीनों की कोटा की इस नोकरी में में कोटा के लोगों के स्वभाव और प्यार का ऋणी हूँ ...लक्ष्मण गोड़ ने कहा के पत्रकारों को भी रिपोर्टिंग में थोड़ा बदलाव लाना होगा उन्होंने उदहारण दिया कल सेम्टेल के लोग टंकी पर चढ़े ..उन्हें रोकने और कानून व्यवस्था बनाये रखने के लियें पुलिस ने अपना काम किया अख़बारों ने खबर छापी ठीक थी हम उसका सम्मान करते है लेकिन अख़बार वालों को सेम्टेल के मजदूरों के बारे में यह भी सोचना होगा के उनसे समझोता कोण नहीं कर रहा है फेक्ट्री मालिक उनका शोषण क्यूँ कर रहे है कोई भी अख़बार मालिकों के खिलाफ खबर बनाने के लियें तहकीकात नहीं करना चाहता है ऐसे में तकलीफ होती है उन्होने कहा के मुझे सभी साथियों ने बुलाया ...कार्यक्रम के दोरान स्थायी लोक अदालत के सचीव मनीष अग्रवाल ने भी पत्रकारों की समस्याओं और समाधान विषय पर विचार प्रकट किये ...एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने गोष्ठी में पत्रकारों का शीर्षक लेने से लेकर अख़बार छापने  और घोषणा पत्र तस्दीक करवाने तक की समस्याओं पर प्रकाश डाला उन्होंने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लक्ष्मण गोड को नारियल की तरह बताया जो कानून व्यस्था लागु करते वक्त ऊपर से  सख्त रहते है और फरियादी या पीड़ित की मदद करते वक्त अन्दर से नरम हो जाते है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ..

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