कभी कभी - खुद पे दया आती है
और मैं निरीह सा हो जाता हूँ .
सोचता हूँ तो - कहीं खो जाता हूँ .
कभी अपना - और ना जाने
किस किस का हो जाता हूँ .
जो मेरे नहीं हैं - मैं हाथ जोड़के
उनसे क्षमा चाहता हूँ .
बहक गया हूँ - अलसुबह
माफ़ कर देना मुझे - यारो
क्या कह रहा था - ना जाने
क्या-क्या कह जाता हूँ - इस लिए
अक्सर अकेला सा रह जाता हूँ .
छोड़ भी - गंभीर मत हो ज्यादा
जाने दे - सोचने से क्या फायदा
खुमारी रात की -उतरी नहीं
शायद मैं कह गया कुछ ज्यादा .
कभी कभी - खुद पे दया आती है
और मैं निरीह सा हो जाता हूँ .
सोचता हूँ तो - कहीं खो जाता हूँ .
कभी अपना - और ना जाने
किस किस का हो जाता हूँ .
जो मेरे नहीं हैं - मैं हाथ जोड़के
उनसे क्षमा चाहता हूँ .
बहक गया हूँ - अलसुबह
माफ़ कर देना मुझे - यारो
क्या कह रहा था - ना जाने
क्या-क्या कह जाता हूँ - इस लिए
अक्सर अकेला सा रह जाता हूँ .
छोड़ भी - गंभीर मत हो ज्यादा
जाने दे - सोचने से क्या फायदा
खुमारी रात की -उतरी नहीं
शायद मैं कह गया कुछ ज्यादा .
और मैं निरीह सा हो जाता हूँ .
सोचता हूँ तो - कहीं खो जाता हूँ .
कभी अपना - और ना जाने
किस किस का हो जाता हूँ .
जो मेरे नहीं हैं - मैं हाथ जोड़के
उनसे क्षमा चाहता हूँ .
बहक गया हूँ - अलसुबह
माफ़ कर देना मुझे - यारो
क्या कह रहा था - ना जाने
क्या-क्या कह जाता हूँ - इस लिए
अक्सर अकेला सा रह जाता हूँ .
छोड़ भी - गंभीर मत हो ज्यादा
जाने दे - सोचने से क्या फायदा
खुमारी रात की -उतरी नहीं
शायद मैं कह गया कुछ ज्यादा .
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