चंडीगढ़। हिमाचल प्रदेश स्थित कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर यह स्थान
है जिसे मणिकर्ण नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि एक बार माता पार्वती के
कान की बाली (मणि) यहां गिर गई थी और पानी में खो गई। खूब खोज-खबर की गई
लेकिन मणि नहीं मिली। आखिरकार पता चला कि वह मणि पाताल लोक में शेषनाग के
पास पहुंच गई है।
जब शेषनाग को इसकी जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुफकार मारी और धरती के अंदर से गरम जल फूट पड़ा। गरम जल के साथ ही मणि भी निकल पड़ी। आज भी मणिकरण में जगह-जगह गरम जल के सोते हैं।
जब शेषनाग को इसकी जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुफकार मारी और धरती के अंदर से गरम जल फूट पड़ा। गरम जल के साथ ही मणि भी निकल पड़ी। आज भी मणिकरण में जगह-जगह गरम जल के सोते हैं।
Dear Mr. Akhtar,
जवाब देंहटाएंI am bit confused as I understand the Manikarn is at Kashi as per Skandh Puran. Can you please provide the document, where you pick the reference of this place.
Regards,
Abhinandan Sharma