ट्रस्ट ने दरगाह के कंपाउंड में महिलाओं को घूमने की आजादी दी है। हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी रिजवान ने कहा कि महिलाएं प्रार्थना, नमाज और शाल या चादर भेंट कर सकती हैं लेकिन दरगाह में प्रवेश वर्जित है। फिल्मी दुनिया समेत इस निर्णय की हर जगह आलोचना हो रही है। यह दरगाह मुंबई के काफी प्रसिद्ध जगहों में से एक है।
हाजी अली की दरगाह मुंबई के वरली तट के पास एक छोटे से टापू पर है। इसे सय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की स्मृति में सन 1431 में बनाया गया था। यह दरगाह मुस्लिम और हिन्दू दोनों समुदायों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखती है। यह मुंबई का मत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल भी है।
अब इस निर्णय की हर जगह आलोचना हो रही है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की नूरजहां साफिया ने कहा है कि यह शरिया कानून की गलत अभिव्यक्ति है। वह हर बड़े राजनीतिक दलों से गुहार लगाएंगी कि ये बडे दल इस मुद्दे को बड़े मंच पर उठाएं। हाजी अली दरगाह के संरक्षक झूठ बोल रहे हैं कि ये पाबंदी पिछले सात सालों से है। पिछले साल ही वह गयीं थीं और वहां ये पाबंदी नहीं थी।
कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी दिग्विजय सिंह ने कहा है कि वह इस पाबंदी के खिलाफ हैं। सभी उदारवादी मुस्लिमों को इसका विरोध करना चाहिए। बीजेपी के प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी इस निर्णय की आलोचना की और फिर विचार करने के साथ इसे वापस लेने की अपील की
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