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11 अक्तूबर 2012

सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जींस की नो एंट्री


नई दिल्ली।। दिल्ली की सभी छह डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ड्रेस कोड लागू हो गया है। डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज सुनीता गुप्ता ने बुधवार को एक ऑर्डर जारी कर सख्ती से ड्रेस कोड लागू करने का निर्देश दिया। यह ऑर्डर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के सभी जजों के पास भेज दिया गया है , जिससे वे ड्रेस कोड लागू कर सकें। ड्रेस कोड लागू करने का यह ऑर्डर बुधवार को स्टाफ के बीच चर्चा का विषय बना रहा।

डिस्ट्रिक्ट जज ने तीस हजारी , कड़कड़डूमा , पटियाला हाउस , साकेत , द्वारका और रोहिणी कोर्ट में काम करने वाले सभी मेल और फीमेल के लिए ड्रेस कोड लागू करने का आदेश दिया है। इसके तहत मेल स्टाफ को शर्ट और ट्राउजर पहनना होगा। वहीं महिला स्टाफ को दुपट्टे के साथ सलवार कमीज या फिर साड़ी पहननी होगी। अभी तक ज्यादातर स्टाफ खास कर यूथ जींस पहनकर ही कोर्ट आते हैं। कोर्ट मंे काम करने वाली ज्यादातर लड़कियां जींस के अलावा सलेक्स पहनकर कोर्ट आती हैं , लेकिन अब उन्हें भी सलवार सूट पहनकर कोर्ट आना होगा और वह भी दुपट्टे के साथ। डिस्ट्रिक्ट जज ने अपने ऑर्डर में कहा है कि उन्होंने यह महसूस किया कि ज्यादातर स्टाफ ठीक तरह से ड्रेस पहनकर नहीं आते। इससे कोर्ट का कामकाज तो प्रभावित होता ही है साथ ही कोर्ट की प्रतिष्ठा भी उलटा असर पड़ता है। कोर्ट में अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने के लिए कोर्ट स्टाफ के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करना जरूरी हो गया था। ऑर्डर की कॉपी सभी जजों के अलावा ब्रांच इंचार्ज के पास भी भेजी गई , जिससे वे अपने स्टाफ पर नजर रख सके कि वे निर्धारित ड्रेस कोड का पालन कर रहे या नहीं। अगर कोई स्टाफ ऑर्डर का पालन नहीं कर रहा है तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा।

बुधवार को डिस्ट्रिक्ट जज का यह आर्डर स्टाफ के बीच चर्चा का विषय बना हुआ था। कोर्ट स्टाफ का कहना था कि सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हाई कोर्ट में लागू नियमों का पालन किया जाता है। इसी तर्ज पर जनवरी 2009 को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में काम करने वाले स्टाफ को गर्मी और सर्दी की दो - दो जोड़ी यूनिफॉर्म दी गई थी। सर्दी के लिए एक - एक कोट भी मिला था। दो साल बाद दोबारा ड्रेस दी जानी थी और तीन साल बाद कोट मिलना था। स्टाफ का कहना है कि वह ड्रेस फट गई , बावजूद इसके अब तक उन्हें दोबारा ड्रेस नहीं दी गई। उनका यह भी कहना है कि हाई कोर्ट में स्टाफ को वॉशिंग अलाउंस भी मिलता है , लेकिन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ऐसा नहीं है।

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