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07 अक्तूबर 2012

8 को दुर्लभ योग - शिव के ये नाम बोलने से ही किस्मत हो जाएगी बुलंद




 

हिन्दू धर्मग्रंथों महादेव यानी भगवान शिव को अनादि, अनंत, अजन्मा माना गया है यानी उनका कोई आरंभ है न अंत है, न उनका जन्म हुआ है, न वह मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस तरह भगवान शिव अवतार न होकर साक्षात ईश्वर हैं। शिव को मृत्युलोक का देवता भी माना गया है।

शिव की साकार यानी मूर्ति रूप और निराकार यानी अमूर्त रूप में आराधना की जाती है। शास्त्रों में भगवान शिव का चरित्र कल्याणकारी माना गया है। उनके दिव्य चरित्र और गुणों के कारण भगवान शिव के कई रूप व अवतार पूजनीय हैं।

शिव के इन रूपों से जुड़े धर्मशास्त्रों में कई नाम बताए गए हैं। धार्मिक आस्था से इन शिव नामों का केवल ध्यान ही बड़ा शुभ माना गया है। खासतौर पर शिव भक्ति के खास दिनों में शिव इन नामों को बोलनेभर या स्मरण से सभी दु:ख और परेशानियां दूर होती है और भरपूर सुख-सौभाग्य बरसता है।

8 अक्टूबर को शिव भक्ति के विशेष दिन सोमवार व शुभ तिथि अष्टमी का दुर्लभ योग है। साथ ही श्राद्धपक्ष भी जारी है। ऐसे संयोग में शिव के यहां बताए जा रहे 108 स्वरूप का नाम स्मरण पितृदोष भी दूर कर भाग्य को संवारने वाला माना गया है, जो तमाम खुशहाली देने वाला साबित होता है। यहां जानिए कौन से शिव के इन 108 रूपों के नाम और उनका मतलब -

शिव - कल्याण स्वरूप

महेश्वर - माया के अधीश्वर

शम्भू - आनंद स्वरूप वाले

पिनाकी - पिनाक धनुष धारण करने वाले

शशिशेखर - सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले

वामदेव - अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले

विरूपाक्ष - भौंडी आँख वाले

कपर्दी - जटाजूट धारण करने वाले

नीललोहित - नीले और लाल रंग वाले

शंकर - सबका कल्याण करने वाले

शूलपाणी - हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले

खटवांगी - खटिया का एक पाया रखने वाले

विष्णुवल्लभ - भगवान विष्णु के अतिप्रेमी

शिपिविष्ट - सितुहा में प्रवेश करने वाले

अंबिकानाथ - भगवति के पति

श्रीकण्ठ - सुंदर कण्ठ वाले

भक्तवत्सल - भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले

भव - संसार के रूप में प्रकट होने वाले

शर्व - कष्टों को नष्ट करने वाले

त्रिलोकेश - तीनों लोकों के स्वामी

शितिकण्ठ - सफेद कण्ठ वाले

शिवाप्रिय - पार्वती के प्रिय

उग्र - अत्यंत उग्र रूप वाले

कपाली - कपाल धारण करने वाले

कामारी - कामदेव के शत्रुअंधकार

सुरसूदन - अंधक दैत्य को मारने वाले

गंगाधर - गंगा जी को धारण करने वाले

ललाटाक्ष - ललाट में आँख वाले

कालकाल - काल के भी काल

कृपानिधि - करूणा की खान

भीम - भयंकर रूप वाले

परशुहस्त - हाथ में फरसा धारण करने वाले

मृगपाणी - हाथ में हिरण धारण करने वाले

जटाधर - जटा रखने वाले

कैलाशवासी - कैलाश के निवासी

कवची - कवच धारण करने वाले

कठोर - अत्यन्त मजबूत देह वाले

त्रिपुरांतक - त्रिपुरासुर को मारने वाले

वृषांक - बैल के चिह्न वाली झंडा वाले

वृषभारूढ़ - बैल की सवारी वाले

भस्मोद्धूलितविग्रह - सारे शरीर में भस्म लगाने वाले

सामप्रिय - सामगान से प्रेम करने वाले

स्वरमयी - सातों स्वरों में निवास करने वाले

त्रयीमूर्ति - वेदरूपी विग्रह करने वाले

अनीश्वर - जिसका और कोई मालिक नहीं है

सर्वज्ञ - सब कुछ जानने वाले

परमात्मा - सबका अपना आपा

सोमसूर्याग्निलोचन - चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आँख वाले

हवि - आहूति रूपी द्रव्य वाले

यज्ञमय - यज्ञस्वरूप वाले

सोम - उमा के सहित रूप वाले

पंचवक्त्र - पांच मुख वाले

सदाशिव - नित्य कल्याण रूप वाल

विश्वेश्वर - सारे विश्व के ईश्वर

वीरभद्र - बहादुर होते हुए भी शांत रूप वाले
गणनाथ - गणों के स्वामी
प्रजापति - प्रजाओं का पालन करने वाले
हिरण्यरेता - स्वर्ण तेज वाले
दुर्धुर्ष - किसी से नहीं दबने वाले
गिरीश - पहाड़ों के मालिक
गिरिश - कैलाश पर्वत पर सोने वाले
अनघ - पापरहित
भुजंगभूषण - साँप के आभूषण वाले
भर्ग - पापों को भूंज देने वाले
गिरिधन्वा - मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
गिरिप्रिय - पर्वत प्रेमी
कृत्तिवासा - गजचर्म पहनने वाले
पुराराति - पुरों का नाश करने वाले
भगवान् - सर्वसमर्थ षड्ऐश्वर्य संपन्न
प्रमथाधिप - प्रमथगणों के अधिपति
मृत्युंजय - मृत्यु को जीतने वाले
सूक्ष्मतनु - सूक्ष्म शरीर वाले
जगद्व्यापी - जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
जगद्गुरू - जगत् के गुरू
व्योमकेश - आकाश रूपी बाल वाले
महासेनजनक - कार्तिकेय के पिता
चारुविक्रम - सुन्दर पराक्रम वाले
रूद्र - भक्तों के दुख देखकर रोने वाले
भूतपति - भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
स्थाणु - स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
अहिर्बुध्न्य - कुण्डलिनी को धारण करने वाले
दिगम्बर - नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
अष्टमूर्ति - आठ रूप वाले
अनेकात्मा - अनेक रूप धारण करने वाले
सात्त्विक - सत्व गुण वाले
शुद्धविग्रह - शुद्धमूर्ति वाले
शाश्वत - नित्य रहने वाले
खण्डपरशु - टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
अज - जन्म रहित
पाशविमोचन - बंधन से छुड़ाने वाले
मृड - सुखस्वरूप वाले
पशुपति - पशुओं के मालिक
देव - स्वयं प्रकाश रूप
महादेव - देवों के भी देव
अव्यय - खर्च होने पर भी न घटने वाले
हरि - विष्णुस्वरूप
पूषदन्तभित् - पूषा के दांत उखाड़ने वाले
अव्यग्र - कभी भी व्यथित न होने वाले
दक्षाध्वरहर - दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाल
हर - पापों व तापों को हरने वाले
भगनेत्रभिद् - भग देवता की आंख फोड़ने वाले
अव्यक्त - इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
सहस्राक्ष - अनंत आँख वाले
सहस्रपाद - अनंत पैर वाले
अपवर्गप्रद - कैवल्य मोक्ष देने वाले
अनंत - देशकालवस्तुरूपी परिछेद से रहित
तारक - सबको तारने वाला
परमेश्वर - सबसे परे ईश्वर

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