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02 सितंबर 2012

यूपी में यहां हमलावर गजनवी का भांजा पूजा जाता है



बहराइच। सालार मसूद गाजी यहीं मारा गया था। महमूद गजनवी का भांजा। उसकी पूरी फौज जिस जगह जंग में मारी गई, वह अब दूर तक फैली पुरानी कब्रों का एक बड़ा इलाका है। सालार मसूद की कब्र की प्रसिद्धि वक्त के साथ एक सूफी संत की शक्ल में हो गई। लोग यहां मन्नतें मांगने के लिए आने लगे। अब यह हर रोज सैकड़ों श्रद्धालुओं की चहल-पहल से आबाद जगह है। यहां सवा सौ कर्मचारियों का अमला देखभाल करता है।

महमूद गजनवी ने भारत पर 17 हमले किए। मथुरा, विदिशा और सोमनाथ समेत कई प्राचीन शहरों और मंदिरों की तबाही उसके नाम दर्ज है। लेकिन उसके शुरुआती हमले यूपी के इसी इलाके में हुए थे। यह इलाका उसकी फौजों ने कई बार रौंदा। 1032 में उसका भांजा सालार मसूद भी यहां आया। स्थानीय राजा सुहैलदेव ने 17 स्थानीय हिंदू राजाओं की संयुक्त सेना के साथ उसका मुकाबला किया। तुर्की, अफगान और मुगल शासकों के खिलाफ हुई तमाम लड़ाइयों में बहराइच की यह जंग भारत के इतिहास में बेहद अहम मानी जाती है। सुहैलदेव के मुकाबले में सालार मसूद की सेना टिक नहीं सकी। उसके साथ उसके सारे प्रमुख सरदार यहां मारे गए। जिस जगह इनकी कब्रें बनीं वह गंजे-शहीदां कहलाती है। गंजे शहीदां यानी शहीदों का गंज। शहीद यानी मौत के मुंह में गए वे हमलावर जो काफिरों से जंग में मरे। मसूद को गाजी मियां भी कहते हैं। गाजी मतलब इस्लाम के लिए लड़ने वाला

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