जयपुर.नागौर के मौलासर थाने में 22 दिनों की अवैध हिरासत के दौरान विवाहिता से वारदात कबूल करवाने के लिए पुलिसकर्मी ज्यादती के साथ ही उनसे मारपीट भी करते रहे। प्रताड़ना से हालत बिगड़ने पर भाई-बहन का पुलिसकर्मी थाने में ही इलाज करवाते। मौलासर के सरकारी अस्पताल से बिना प्रशासनिक इजाजत के नर्स एवं कम्पाउंडर को हर दूसरे दिन मरहम पट्टी के लिए बुलाया जाता था।
यह चौंकाने वाली जानकारियां राज्य मानवाधिकार आयोग की ओर से मुख्यमंत्री एवं गृह विभाग को 7 सितंबर को भेजी जांच रिपोर्ट से सामने आई हैं। आयोग को मौलासर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी ने बयानों में कहा कि पीड़ित बजरंग लाल को 7 जनवरी रात दस बजे मेडिकल के लिए अस्पताल लाया गया था।
बजरंग लाल के शरीर पर चोटों के कई निशान थे, जो ज्यादा पुराने नहीं लग रहे थे। आयोग को वरिष्ठ चिकित्साधिकारी ने बयानों में यह भी कहा कि एएनएम विमला चौधरी एवं मेल नर्स चैनाराम उनसे बिना इजाजत लिए हर दूसरे दिन थाने में रामप्यारी (बदला हुआ नाम) और बजरंग लाल की मरहम पट्टी करने जाते थे।
मौलासर सरकारी अस्पताल की एक नर्स ने बयानों में कहा कि 20 दिसंबर से 23 दिसंबर 2011 के बीच वर्दी पहने दो सिपाही पीड़िता को अस्पताल लेकर आए थे। वह पूरी तरह घबराई हुई थी। उसने दर्द होना बताया। पीड़िता ने बयानों यह भी कहा कि महिला सिपाही सिर्फ दिन में ही उसके साथ रहती थी।
इन्होंने की मारपीट
मानवाधिकार आयोग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक एएसआई भंवरलाल विश्नोई, मौलासर थाने के एसएचओ नवनीत व्यास, पुलिसकर्मी बाबूलाल, रमेश मीणा, छोटूराम जाट, गणेश ढाका, डीडवाना थाने का सिपाही पवन, डीवाईएसपी हेमाराम चौधरी आदि ने पीड़िता, बजरंग लाल, रामप्यारी और महेश से मारपीट की।
तुझे मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए
अवैध हिरासत में रखे गए तीसरे पीड़ित महेश ने आयोग को बयानों में कहा कि थाने में जब भी नागौर एसपी उससे मिले, तब वह पूछते थे कि तुझे मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए।
यह चौंकाने वाली जानकारियां राज्य मानवाधिकार आयोग की ओर से मुख्यमंत्री एवं गृह विभाग को 7 सितंबर को भेजी जांच रिपोर्ट से सामने आई हैं। आयोग को मौलासर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी ने बयानों में कहा कि पीड़ित बजरंग लाल को 7 जनवरी रात दस बजे मेडिकल के लिए अस्पताल लाया गया था।
बजरंग लाल के शरीर पर चोटों के कई निशान थे, जो ज्यादा पुराने नहीं लग रहे थे। आयोग को वरिष्ठ चिकित्साधिकारी ने बयानों में यह भी कहा कि एएनएम विमला चौधरी एवं मेल नर्स चैनाराम उनसे बिना इजाजत लिए हर दूसरे दिन थाने में रामप्यारी (बदला हुआ नाम) और बजरंग लाल की मरहम पट्टी करने जाते थे।
मौलासर सरकारी अस्पताल की एक नर्स ने बयानों में कहा कि 20 दिसंबर से 23 दिसंबर 2011 के बीच वर्दी पहने दो सिपाही पीड़िता को अस्पताल लेकर आए थे। वह पूरी तरह घबराई हुई थी। उसने दर्द होना बताया। पीड़िता ने बयानों यह भी कहा कि महिला सिपाही सिर्फ दिन में ही उसके साथ रहती थी।
इन्होंने की मारपीट
मानवाधिकार आयोग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक एएसआई भंवरलाल विश्नोई, मौलासर थाने के एसएचओ नवनीत व्यास, पुलिसकर्मी बाबूलाल, रमेश मीणा, छोटूराम जाट, गणेश ढाका, डीडवाना थाने का सिपाही पवन, डीवाईएसपी हेमाराम चौधरी आदि ने पीड़िता, बजरंग लाल, रामप्यारी और महेश से मारपीट की।
तुझे मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए
अवैध हिरासत में रखे गए तीसरे पीड़ित महेश ने आयोग को बयानों में कहा कि थाने में जब भी नागौर एसपी उससे मिले, तब वह पूछते थे कि तुझे मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए।
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