विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान एवं नित्यकर्म से शीघ्र निवृत्त हों। अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। संकल्प मंत्र के बाद षोडशोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा-दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण को प्रदान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद रूप में बांट दें। ब्राह्मण भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के पश्चात् संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें। पूजन के समय यह मंत्र बोलें-
ऊँ गं गणपतये नम:
दुर्वा-दल चढ़ाने का मंत्रगणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाई जाती है। दूर्वा दल चढ़ाते समय नीचे लिखे मंत्रों का जप करें-
ऊँ गणाधिपाय नम:
ऊँ उमापुत्राय नम:
ऊँ विघ्ननाशनाय नम:
ऊँ विनायकाय नम:
ऊँ ईशपुत्राय नम:
ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:
ऊँ एकदन्ताय नम:
ऊँ इभवक्त्राय नम:
ऊँ मूषकवाहनाय नम:
ऊँ कुमारगुरवे नम:
इस तरह पूजन करने से भगवान श्रीगणेश अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं।
श्रीगणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त
कन्या लग्न- सुबह 6:07 से 8:17 तक
वृश्चिक लग्न- सुबह 10:33 से दोपहर 12:45 तक
बुध की होरा- दोपहर 2:00 से 2:20 तक
बुध की होरा- रात 8:20 से 9:20 तक
चौघडिय़ा मुहूर्त
सुबह 07:09 से 08:31 तक- लाभ
सुबह 08:31 से 09:53 तक- अमृत
सुबह 11:15 से दोपहर 12:37 तक- शुभ
दोपहर 03:21 से शाम 04:43 तक- चंचल
शाम 04:43 से 06:05 तक- लाभ
रात 07:43 से 09:21 तक- शुभ रात 09:21 से 10:59 तक अमृत
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