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18 सितंबर 2012

आध्यात्म खुद को जानने और समझने का साइंस



 

कोटा. आध्यात्मिक संस्थान ‘पावन चिंतन धारा’ के संस्थापक, दिल्ली यूनिवर्सिटी में राजनीतिशास्त्र के प्राध्यापक तथा टीवी चैनलों पर एस्ट्रो अंकल के नाम से विख्यात पवन सिन्हा (भैया जी) 21 सितंबर को कोटा आएंगे। वे यहां दैनिक भास्कर द्वारा जीवन प्रबंधन पर एक मोटिवेशनल सेमीनार में व्याख्यान देंगे।



कार्यक्रम में मां भगवती एजुकेशन ग्रुप के इंजीनियर सुरेश नागर, सेंट जोसेफ सी.सै.स्कूल के डॉ.अजय शर्मा, आर्यन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के जगदीश सैनी तथा समाजसेवी क्रांति तिवारी व दिनेश जोशी मुख्य सहयोगी होंगे। सिन्हा 8 साल की उम्र में ही ईश्वर की खोज के लिए घर छोड़कर गंगोत्री के तपोवन में साधना करने चले गए थे। 12 से 28 साल की उम्र तक वे साधना करते रहे। उनके अनुसार, आध्यात्म स्वयं को जानने और समझने का साइंस है।
समाज की परेशानियों का मूल कारण लालच, संकीर्ण मानसिकता, असहनशीलता और असुरक्षा की भावना है। जो आध्यात्म से जुड़ता है वह विनम्र, ईमानदार, कर्मयोगी, सहनशील, आत्मविश्वासी, वैज्ञानिक व देशभक्त बनता है। उनका कहना है कि भाग्य सौ प्रतिशत निश्चित नहीं होता, व्यक्ति अपने कर्म, विवेक व आध्यात्म से भाग्य को बेहतर बना सकता है। टीवी चैनलों के जरिए घर-घर की जिंदगी का हिस्सा बन चुके एस्ट्रो अंकल पवन सिन्हा ने संविधान, मानवाधिकार, शिक्षा, योग, स्वास्थ्य, व्यक्तित्व और विभिन्न सामाजिक विषयों पर 1500 से ज्यादा व्याख्यान दिए हैं।
‘गीता और विलक्षण जीवन’ आपका प्रिय विषय है। सिन्हा का कहना है कि युवाओं में चिड़चिड़ापन,कम उम्र में कामुक प्रवृत्ति, अवज्ञाकारी होना, अशांत मन, आक्रामकता, संकोच, आत्मविश्वास में कमी और अनेक बीमारियों को बहुत साधारण उपायों से कम किया जा सकता है। आपका नारा है- ‘परिवर्तित हो, परिवर्तन करो।’

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