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04 सितंबर 2012

समाज विरोध करता रहा और गुर्जर की छोरी ने आखिर कर ही दिया कमाल!



कसार/कोटा.एक बेटी ने सामाजिक बुराइयों तथा पुरानी रूढ़ियों को पीछे छोड़ते हुए नई पहल की है। परिवार की सबसे छोटी बेटी ने पिताजी की मौत के बाद बाकायदा बेटे की तरफ पगड़ी पनकर सभी को चौंका दिया।

कोटा जिले के दरा गांव में गुर्जर समाज की इस बेटी को पुरानी प्रथा को समाप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह अडिग रही। लंबी जद्दोजहद के बाद रिश्तेदारों तथा समाज को बेटी की बात माननी पड़ी। बेटी का कहना था कि पिताजी के बाद वह परिवार की सारी जिम्मेदारी बेटे की तरह निभाना चाहती है।

दरा निवासी छोटूलाल गुर्जर (80) के कोई बेटा नहीं था। उन्होंने दोनों बेटियों को बेटे की तरह प्यार दिया। बड़ी बेटी रामजानकी (42) तथा छोटी बेटी भूलीबाई (40) की शादियां हो चुकी है। दोनों बेटियों की शादी के बाद भी उनका पिता के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। भूलीबाई ने तो ससुराल व पीहर का बराबर ध्यान रखा।

पिताजी की बीमारी के समय भूलीबाई ने उनकी बेटे की तरह देखभाल की। पिता छोटूलाल भी मरने से पहले छोटी बेटी को पगड़ी पहनाने के पक्ष में थे। उन्होंने भूलीबाई को कहा था कि चाहे कुछ भी हो, तुम्हें सारी प्रथाओं को तोड़कर पगड़ी पहननी होगी। तब ही मेरी आत्मा को शांति मिलेगी। पिताजी की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए भूलीबाई को पगड़ी रस्म के दौरान विरोध सहना पड़ा, लेकिन वह नहीं मानी।

रिश्तेदारों तथा समाजबंधुओं को बड़ी बेटी रामजानकी तथा पूर्व सरपंच देवीशंकर गुर्जर ने समझाया। लंबी बातचीत के बाद उनको बेटी की जिद के आगे झुकना पड़ा। पढ़ी-लिखी न होने के बावजूद भूलीबाई एक मिसाल कायम कर पढ़े-लिखे लोगों को नई सीख दी है। भूलीबाई ने भास्कर को बताया कि भले ही वह शिक्षित नहीं है, लेकिन पिताजी ने उसे संस्कार दिए हैं। मैं चाहती हूं कि समाज के अंदर की बुराइयां समाप्त होनी चाहिए। इसके लिए किसी को तो आगे आना ही होगा।

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