जोधपुर.पाक से विस्थापित होकर थार एक्सप्रेस से भारत पहुंचे परिवारों ने सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से एयरपोर्ट पर मुलाकात कर पुनर्वास की मांग की। गहलोत जयपुर जाने के लिए एयरपोर्ट में प्रवेश कर चुके थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि उनसे मिलने पाक विस्थापित आए हैं तो उन्होंने बाहर आकर लोगों से बात की। मुख्यमंत्री को आपबीती सुनाते हुए हिंदू परिवार रो पड़े। मुख्यमंत्री ने उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिया और कलेक्टर को निर्देश दिए कि इन परिवारों की समस्याओं का तत्काल समाधान करें।
साथ ही उन्होंने राज्य और केंद्र के स्तर पर होने वाले समाधान पर एक प्रतिनिधिमंडल को जयपुर बुलाया है, जहां पुनर्वास, स्थाई वीजा और नागरिकता जैसे मसलों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। पाक में प्रताड़ित 171 लोग रविवार सुबह थार एक्सप्रेस से जोधपुर पहुंचे थे। सोमवार सुबह ये लोग सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदूसिंह सोढ़ा के साथ मुख्यमंत्री से मिलने एयरपोर्ट आए थे। मुख्यमंत्री ने लोगों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार पाक विस्थापितों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार से भी बात करेगी।
धार्मिक उत्पीड़न नहीं झेल पाए तो पलायन कर गए
इन लोगों ने मुख्यमंत्री को बताया कि पाकिस्तान में उनके जबरन धर्म परिवर्तन की कोशिश की जाती है। उनके पास न तो जमीन है और न ही खुद का धंधा, बंधुआ मजदूर की तरह इतने सालों तक काम कर लिया, मगर अब धार्मिक उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होता। वहां रहते तो धर्म परिवर्तन करना पड़ता। देश तो छूट चुका था, परंतु धर्म छोड़ना नहीं छोड़ना चाहते थे इसलिए अपने वतन लौट आए हैं।
साथ ही उन्होंने राज्य और केंद्र के स्तर पर होने वाले समाधान पर एक प्रतिनिधिमंडल को जयपुर बुलाया है, जहां पुनर्वास, स्थाई वीजा और नागरिकता जैसे मसलों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। पाक में प्रताड़ित 171 लोग रविवार सुबह थार एक्सप्रेस से जोधपुर पहुंचे थे। सोमवार सुबह ये लोग सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदूसिंह सोढ़ा के साथ मुख्यमंत्री से मिलने एयरपोर्ट आए थे। मुख्यमंत्री ने लोगों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार पाक विस्थापितों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार से भी बात करेगी।
धार्मिक उत्पीड़न नहीं झेल पाए तो पलायन कर गए
इन लोगों ने मुख्यमंत्री को बताया कि पाकिस्तान में उनके जबरन धर्म परिवर्तन की कोशिश की जाती है। उनके पास न तो जमीन है और न ही खुद का धंधा, बंधुआ मजदूर की तरह इतने सालों तक काम कर लिया, मगर अब धार्मिक उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होता। वहां रहते तो धर्म परिवर्तन करना पड़ता। देश तो छूट चुका था, परंतु धर्म छोड़ना नहीं छोड़ना चाहते थे इसलिए अपने वतन लौट आए हैं।
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