जयपुर.मुंबई-जयपुर सहित देश में हुए आतंकी हमलों के बाद भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में आंतकियों से निपटने के लिए जयपुर ने सेना के लिए अनूठा बुलेटप्रूफ ब्लिटजर एंटी टेरेरिस्ट व्हीकल तैयार किया है। यह पांच फीट तक की संकरी गलियों के अलावा एक मीटर गहरे पानी, कीचड़ और ऊंचाई पर एक ही रफ्तार से झपटने में सक्षम है।
यह वाहन एक ही स्थान पर खड़ा रहकर पलक झपकते ही 360 डिग्री का राउंड लेते हुए दुश्मन को किसी भी कोने से ढेर कर सकता है। इस पर 7.62 राइफल, एके 47, हैंड ग्रेनेड और गोला-बारूद का असर भी नहीं होगा। वाहन में चालक सहित तीन सैनिक आसानी से बैठ सकते हैं।
रक्षा मंत्रालय से संबद्ध डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑग्रेनाइजेशन (डीआरडीओ) से मान्यता प्राप्त जयपुर की एक कंपनी ने लंबे परीक्षण के बाद यह वाहन तैयार किया गया है। फील्ड में प्रभावी परीक्षण के बाद फिलहाल इसमें कुछ और तकनीकी अपग्रेडेशन किए जा रहे हैं। कंपनी का दावा है कि इस तरह के आकार में बेहतरीन फीचर्स वाला यह दुनिया का अनुठा बूलेटप्रूफ वाहन है।
एशिया की सबसे बड़ी ऑटोक्लेव मशीन :
गाड़ियों को अत्याधुनिक तकनीक से बुलेटप्रूफ बनाने वाली ऑटोक्लेव मशीन को भी जर्मनी से खरीदा गया है। कंपनी के प्रतिनिधियों का दावा है कि यह एशिया की सबसे बेहतरीन और बड़ी मशीन है। यह पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड है।
साढ़े तीन मीटर ऊंची और साढ़े तीन मीटर लंबी है। इसका वजन करीब 30 टन है। दुनिया में अमेरिका, जर्मनी और स्पेन में ही फिलहाल इस मशीन से गाड़ियों को बुलेटप्रूफ किया जाता है। कंपनी अमेरिकन केवलार थ्रेड और सीरेमिक प्लेट से निर्मित बुलेटप्रूफ जैकेट का भी उत्पादन करती है।
आसान नहीं है गाड़ी को बुलेटप्रूफ करवाना
हर व्यक्ति अपनी मर्जी से गाड़ी को बुलेटप्रूफ नहीं करवा सकता। संबंधित व्यक्ति को जान का खतरा होने पर पुलिस को सूचित करना होता है। इंटेलीजेंस गहन जांच-पड़ताल के बाद यह तय करती है कि संबंधित व्यक्ति को क्या वाकई बुलेटप्रूफ गाड़ी की आवश्यकता है। इस संबंध में गृहमंत्रालय से भी नियमानुसार कार्यवाही पूरी की जाती है। अनुमति से पहले यह पड़ताल और एश्योरेंस भी कर लिया जाता है कि कहीं गाड़ी का दुरुपयोग तो नहीं होगा।
ऐसे बनते हैं वाहन बुलेट प्रूफ
कंपनी में बुलेट प्रूफ होने के लिए आने वाले वाहन की बॉडी को पूरी तरह खोला जाता है। इसमें विदेश से आयाजित बुलेटप्रूफ जैकॉलशीट लगाई जाती है। गाड़ी के सामान्य शीशों को विशेष रसायन से बुलेटपूफ बनाया जाता है। गाडी का मूलरंग और साज-सज्जा पहले जैसी की जाती है, ताकि सामान्य और बुलेटप्रूफ गाड़ी में आसानी से भेद नहीं किया जा सके। डिमांड के अनुसार टायर को भी बुलेटप्रूफ बनाया जाता है। अगर कोई चौपहिया वाहन 2180 किलो वजनी है तो उसे बुलेटप्रूफ कराने के बाद वह करीब 2800 किलो तक हो जाता है।
खतरनाक हथियार भी बेअसर
इस वाहन पर आतंकियों के खतरनाक हथियारों का भी असर नहीं होगा। एके-47, 7.62 राइफल तथा हैंड ग्रेनेड जैसे हथियारों के नजदीक से किए गए अटैक भी विफल हो जाएंगे। इनकी मारक क्षमता को खत्म करने के लिए गाड़ी की सतह पर अमेरिका से आयातित विशेष प्रकार की लेयर चढ़ाने के अलावा गाड़ी के इंजन, बॉडी, टॉयरों को भी बुलेटप्रूफ किया जाता है।
वीवीआईपी के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर रहा है जयपु
जयपुर देशभर के राजनेताओं, वीवीआईपी शख्सियतों के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर रहा है। सीकर रोड स्थित जिस फैक्ट्री में बुलेटप्रूफ गाड़ियां तैयार हो रही हैं, वहां एक साल तक की एडवांस बुकिंग है। यहां जम्मू-कश्मीर, पंजाब सहित कई राज्यों के अतिविशिष्ट लोगों के साथ ही कापरेरेट हस्तियों की गाड़ियों को बुलेटप्रूफ करने का काम जोरों पर है। कंपनी में हर माह 5 से 7 गाड़ियों को बुलेटप्रूफ बनाया जाता है। फैसलिटी के हिसाब से अलग-अलग वाहन पर तीन लाख से एक करोड़ रुपए तक खर्च होते हैं।
यह वाहन एक ही स्थान पर खड़ा रहकर पलक झपकते ही 360 डिग्री का राउंड लेते हुए दुश्मन को किसी भी कोने से ढेर कर सकता है। इस पर 7.62 राइफल, एके 47, हैंड ग्रेनेड और गोला-बारूद का असर भी नहीं होगा। वाहन में चालक सहित तीन सैनिक आसानी से बैठ सकते हैं।
रक्षा मंत्रालय से संबद्ध डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑग्रेनाइजेशन (डीआरडीओ) से मान्यता प्राप्त जयपुर की एक कंपनी ने लंबे परीक्षण के बाद यह वाहन तैयार किया गया है। फील्ड में प्रभावी परीक्षण के बाद फिलहाल इसमें कुछ और तकनीकी अपग्रेडेशन किए जा रहे हैं। कंपनी का दावा है कि इस तरह के आकार में बेहतरीन फीचर्स वाला यह दुनिया का अनुठा बूलेटप्रूफ वाहन है।
एशिया की सबसे बड़ी ऑटोक्लेव मशीन :
गाड़ियों को अत्याधुनिक तकनीक से बुलेटप्रूफ बनाने वाली ऑटोक्लेव मशीन को भी जर्मनी से खरीदा गया है। कंपनी के प्रतिनिधियों का दावा है कि यह एशिया की सबसे बेहतरीन और बड़ी मशीन है। यह पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड है।
साढ़े तीन मीटर ऊंची और साढ़े तीन मीटर लंबी है। इसका वजन करीब 30 टन है। दुनिया में अमेरिका, जर्मनी और स्पेन में ही फिलहाल इस मशीन से गाड़ियों को बुलेटप्रूफ किया जाता है। कंपनी अमेरिकन केवलार थ्रेड और सीरेमिक प्लेट से निर्मित बुलेटप्रूफ जैकेट का भी उत्पादन करती है।
आसान नहीं है गाड़ी को बुलेटप्रूफ करवाना
हर व्यक्ति अपनी मर्जी से गाड़ी को बुलेटप्रूफ नहीं करवा सकता। संबंधित व्यक्ति को जान का खतरा होने पर पुलिस को सूचित करना होता है। इंटेलीजेंस गहन जांच-पड़ताल के बाद यह तय करती है कि संबंधित व्यक्ति को क्या वाकई बुलेटप्रूफ गाड़ी की आवश्यकता है। इस संबंध में गृहमंत्रालय से भी नियमानुसार कार्यवाही पूरी की जाती है। अनुमति से पहले यह पड़ताल और एश्योरेंस भी कर लिया जाता है कि कहीं गाड़ी का दुरुपयोग तो नहीं होगा।
ऐसे बनते हैं वाहन बुलेट प्रूफ
कंपनी में बुलेट प्रूफ होने के लिए आने वाले वाहन की बॉडी को पूरी तरह खोला जाता है। इसमें विदेश से आयाजित बुलेटप्रूफ जैकॉलशीट लगाई जाती है। गाड़ी के सामान्य शीशों को विशेष रसायन से बुलेटपूफ बनाया जाता है। गाडी का मूलरंग और साज-सज्जा पहले जैसी की जाती है, ताकि सामान्य और बुलेटप्रूफ गाड़ी में आसानी से भेद नहीं किया जा सके। डिमांड के अनुसार टायर को भी बुलेटप्रूफ बनाया जाता है। अगर कोई चौपहिया वाहन 2180 किलो वजनी है तो उसे बुलेटप्रूफ कराने के बाद वह करीब 2800 किलो तक हो जाता है।
खतरनाक हथियार भी बेअसर
इस वाहन पर आतंकियों के खतरनाक हथियारों का भी असर नहीं होगा। एके-47, 7.62 राइफल तथा हैंड ग्रेनेड जैसे हथियारों के नजदीक से किए गए अटैक भी विफल हो जाएंगे। इनकी मारक क्षमता को खत्म करने के लिए गाड़ी की सतह पर अमेरिका से आयातित विशेष प्रकार की लेयर चढ़ाने के अलावा गाड़ी के इंजन, बॉडी, टॉयरों को भी बुलेटप्रूफ किया जाता है।
वीवीआईपी के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर रहा है जयपु
जयपुर देशभर के राजनेताओं, वीवीआईपी शख्सियतों के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर रहा है। सीकर रोड स्थित जिस फैक्ट्री में बुलेटप्रूफ गाड़ियां तैयार हो रही हैं, वहां एक साल तक की एडवांस बुकिंग है। यहां जम्मू-कश्मीर, पंजाब सहित कई राज्यों के अतिविशिष्ट लोगों के साथ ही कापरेरेट हस्तियों की गाड़ियों को बुलेटप्रूफ करने का काम जोरों पर है। कंपनी में हर माह 5 से 7 गाड़ियों को बुलेटप्रूफ बनाया जाता है। फैसलिटी के हिसाब से अलग-अलग वाहन पर तीन लाख से एक करोड़ रुपए तक खर्च होते हैं।
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