अमृतसर। स्थान : गुरु नानक देव अस्पताल, इमरजेंसी वार्ड,
समय : सुबह के 8.00 बजे।
वार्ड के बाहर पड़े बेंच पर तड़पता एक 30 वर्षीय युवक। रह-रह कर उसके गले से चीख निकल रही है और वह दर्द से कराह जाता है। उसने तीन दिन से कुछ खाया-पीया नहीं है। उठने की कोशिश करता है। कमजोरी व दर्द के कारण टांगें जवाब दे जाती हैं और वह धड़ाम से गिर जाता है। आधे घंटे से वह इस स्थिति से गुजर रहा है। साढ़े आठ बजे दर्जा चार मुलाजिम व्हील चेयर लेकर आता है और उसे लाद लेता है। कुछ पल बाद ही वह व्यक्ति अस्पताल के बाहर पड़े कूड़े के ढेर के पास नजर आता है। उसे फेंक कर कर्मी चलते बने और युवक तड़पने लगा। इसी हालत में वह पूरे चार घंटे 36 मिनट तक रहा, मगर किसी अस्पताल कर्मी को उसकी स्थिति पर तरस नहीं आया।
समय : सुबह के 8.00 बजे।
वार्ड के बाहर पड़े बेंच पर तड़पता एक 30 वर्षीय युवक। रह-रह कर उसके गले से चीख निकल रही है और वह दर्द से कराह जाता है। उसने तीन दिन से कुछ खाया-पीया नहीं है। उठने की कोशिश करता है। कमजोरी व दर्द के कारण टांगें जवाब दे जाती हैं और वह धड़ाम से गिर जाता है। आधे घंटे से वह इस स्थिति से गुजर रहा है। साढ़े आठ बजे दर्जा चार मुलाजिम व्हील चेयर लेकर आता है और उसे लाद लेता है। कुछ पल बाद ही वह व्यक्ति अस्पताल के बाहर पड़े कूड़े के ढेर के पास नजर आता है। उसे फेंक कर कर्मी चलते बने और युवक तड़पने लगा। इसी हालत में वह पूरे चार घंटे 36 मिनट तक रहा, मगर किसी अस्पताल कर्मी को उसकी स्थिति पर तरस नहीं आया।
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