चंडीगढ़। आम आदमी पर आपराधिक आरोप हो तो उसे हथियार मिलना तो दूर लाइसेंस भी नहीं मिलता। लेकिन, सांसदों के मामले में ऐसा नहीं है। साल 2001 से 2012 के बीच 82 सांसदों ने सरकार से बंदूकें खरीदी। इनमें से 18 के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज हैं। आरटीआई के जरिए यह जानकारी मिली है।
आरटीआई एक्टिविस्ट अंबरीश पांडे ने सांसदों के बंदूकें खरीदने की जानकारी मांगी थी। इसके मुताबिक बंदूक पाने वाले सांसदों में यूपी के अतीक अहमद पर 44 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या और हत्या के प्रयास के छह-छह मामले हैं। उन्हें भी सरकारी बंदूकें बेच दी गईं।
कस्टम विभाग से मिले
कस्टम विभाग जो हथियार जब्त करता है, उसे सांसदों को बेचा जाता है। यदि हथियार प्रतिबंधित है तो केंद्र सरकार से अनुमति लेना जरूरी होता है। कस्टमविभाग ने 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर सांसदों को हथियार बेचे। लाइसेंस होने के बावजूद आम आदमी यह हथियार नहीं खरीद सकता।
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