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02 अगस्त 2012

खुदा का शुक्र है भाइयों ..अन्ना की गीबत मामले में माहे रमजान में ............में गुनाहगार होने से बच गया

खुदा का शुक्र है भाइयों ..अन्ना की गीबत मामले में माहे रमजान में ............में गुनाहगार होने से बच गया ......दोस्तों अन्ना नहीं गाँधी है देश के भविष्य की यह आंधी है जब नारे लगते थे और लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अन्ना को हीरो बना कर पेश करते थे तो न जाने क्यूँ मेरे मन में टीस उठती थी और में सोचता था के अन्ना देश को ठग रहे है ...अन्ना का जोर जब चरम सीमा पर था तब कोटा राजस्थान में एक टी वी चेनल ने इस मामले में एक डिबेट रखी थी एक चर्चा रखी थी जिसमे शहर के सभी राजनितिक और गेर राजनितिक ज़िम्मेदार थे यकीन मानिये मेरे अलावा सभी ने अन्ना की इमानदारी ..क़ुरबानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का खुला समर्थन किया था एक में अकेला था जिसने अन्ना के तोर तरीकों की आलोचना कर इसे केवल सियासत और सियासत बता कर कहा था के अन्ना भविष्य में कभी भी या तो राजनीति में आयेंगे या किसी के सपोर्टर बनेंगे तब मेरी बात तो टी वी चेनल ने प्रमुखता से प्रसारित की थी लेकिन इस बात को मानने वाले कम थे ............अन्ना जी आदरणीय है लेकिन उनके तोर तरीकों से लगातार स्पष्ट था के वोह कुछ है जो जनता और सरकार पर थोपना चाहते है उनके दिमाग में कुछ केमिकल लोचा है जो वोह खुद को सबसे ऊपर और अंतिम सही व्यक्ति समझने लगे है .......उन्होंने कभी यह नहीं देखा के देश में इन्द्रा गांधी ने आपात कल के दोरान ना जाने कितने अधिकारीयों .व्यापारियों ..कर्मचारियों को सबक सिखाया था ..उन्होंने नहीं कहा के आपात काल के दोरान सभी भ्रष्ट बेईमान जेलों में या अपने काम पर थे और जनता सुकून से थी ..आपात कल के बाद जमाखोरों से बरामद खाद पदार्थों का ही नतीजा था के देश में शक्कर दो रूपये किलो ..घी दस रूपये किलो मिल रहा था वक्त पर दफ्तर खुलते थे दफ्तरों में पत्रावलियां पेंडिंग नहीं थी ..अन्ना ने यह नहीं देखा के अकेले राजीव गाँधी देश के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने ने खुले मंच से यह स्वकार किया था के उनके अधिकारी और उनसे जुड़े लोग बेईमान है राजीव गाँधी साफ़ कहते थे के अगर वोह एक रुपया सरकार से जनता के लियें भेजते है तो पन्द्राह पेसे जनता तक पहुंचते है बाक़ी पच्चासी पेसे सिस्टम कहा जाता है यह ताकत सिर्फ राजीव गांधी में थी जिसने इस सच को स्वीकार और वोह ऐसे भ्रष्ट लोगों को जेल भेजते कानून बनाते इसके पहले ही भ्रष्ट लोग्नों के षड्यंत्र ने उनकी हत्या कर दी....देश ने अन्ना के जीवन काल में बहुत कुछ सहा ..नर्सिम्मा राव का कार्यकाल संसद में रिश्वत चली अन्ना चुप रहे ..दंगे फसादात हुए अन्ना चुप रहे लेकिन जेसे ही सियासत में बदलाव आया अन्ना ने अंगडाई ली और पहले प्रदेशन को कामयाब बनाने वाले बाबा रामदेव से गद्दारी कर दी .वाह अन्ना जी वाह आप करे तो सही दूसरा करे तो बेईमानी ..खेर यही विचार मुझे अन्ना की आलोचना करने अपर मजबूर करते थे फिर हरियाणा चुनाव में कोंग्रेस का विरोध और उत्तरप्रदेश चुनाव में खामोशी धरने की घोषणा फिर फेसले में बदलाव यह सब डरा धमका कर .ब्लेकमेलिंग कर अपने काम निकलवाने की सियासी फितरत साफ़ नज़र आती थी ..मेने कई बार आनन के पक्ष में और अन्ना के खिलाफ खुल लिखा अन्ना समर्थकों ने मेरी आलोचना भी की लेकिन मेरा स्वभाव है जो में सही समझता हूँ में वही करता हु फिर चाहे दुनिया ही मेरी आलोचक क्यूँ न हो जाए ..कई लोगों ने मुझे कोंग्रेसी दल्ला कहा तो कई लोगों ने मुझे भ्रष्टाचारियों का पैरोकार कहा में डिगा नहीं ......लेकिन कभी कभी में सोचता जरुर था के एक बुज़ुर्ग आदमी के खिलाफ विपरीत धारा में बहकर में मोर्चा खोले हुए हूँ कहीं में गलत साबित हुआ और अन्ना के बारे में मेरे विचार गलत हुए तो में शर्मिंदा हो जाऊँगा ..में कई बार अन्ना समर्थकों के बीच खुद को चोर सा महसूस करता था अपनी बात कहकर अन्ना की आलोचना तो में खुल कर खरता था लेकिन आशंकित था के कहीं में गलत न साबित हो जाऊं अन्ना सच में राष्ट्रभक्त हों अन्ना गेर्सियासी लड़ाई लड़ रहे हो और अगर यह सच साबित हुआ तो में खुद की नजरों में गिर जाऊँगा कई बार मेने सोचा के अन्ना मामले में अगर में गलत हूँ तो मुझे माफ़ी माँगना चाहिए अन्ना अनशन पर फिर बेठे मुझे पूरा यकीन था यह नोटंकी है और अचानक अन्ना खुद अनशन पर नहीं बेठ कर जब केजरीवाल वगेरा को अनशन पर बताते है तो फिर तो मेरा यकीन और मजबूत हो जाता है ..लेकिन दोस्तों फिर अन्ना अनशन पर बैठते है फिर में सोचता हूँ के आनन अगर कह रहे है के में मर भी जाऊं तो चिंता नहीं पन्द्राह मंत्रियों को हटाओ लोकपाल लाओ वरना लड़ाई आर पार की है में सोचता हूँ कहीं ऐसा ना हो में गलत हूँ और यह अन्ना खुद के लियें नहीं सियासत के इए नहीं राष्ट्र के लियें और राष्ट्र के लोगों के लियें लड रहा हो में सोचता के कहीं खुदा न करे इस लड़ाई में अन्ना आर पार के चक्कर में खुद के स्वास्थ के साथ कुछ अनहोनी करवा बेठे तो सरकार तो जायेगी ही सही लेकिन अन्ना का दर्जा गान्धी से भी बढ़े गान्धी का हो जाएगा में सोचता था लेकिन दिल नहीं मानता था क्योंकि अन्ना के चहरे पार कहीं भी देश के लियें लड़ने का भाव नहीं था केवल अहंकार और बदले का भाव था ..दोस्तों कल जब अन्ना ने अचानक अप्रत्याशित रूप से आर पार की लड़ाई का जनता से किया गया वायदा तोडा ..खुद अन्ना अपने वायदे से मुकर कर अनशन बिना मांगे पूरी किये खत्म करने का एलान करने लागे तब एक बात तो यह साफ लगी के चिदम्बरम को गृह मंत्री से हटाना और महाराष्ट्र के ही किसी को गृहमंत्री बनवाना अन्ना का सरकार से कहीं समझोते में प्लान शामिल था ...खेर जो होना था वही हुआ जिसका दर पहले से था वोह सही साबित हुआ आनन भी एक आम आदमी नहीं आम आदमी नहीं आम आदमी से भी कहीं बहुत छोटे और सियासी लोगों से भी बुरे साबित हुए ..में सही निकला मेने जो आज से आठ माह पहले कहा वोह सही साबित हुआ और में सोचने लगा खुदा का शुक्र है अन्ना मामले में में इस अपराध से बचा के किसी सही आदमी की मेने सार्वजनिक आलोचना करने का अपराध किया खुदा का शुक्र है ....अब अन्ना जनता की अदालत में है और जनता जनार्दन है यह सब जानती है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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