पुलिस ने गिरफ्तार किये गये लोगों पर डकैती का मामला दर्ज किया है। इसके साथ ही ऐतिहातन रायगड किले के पास पुलिस का कड़ा बंदोबस्त किया गया है। बता दें कि संभाजी ब्रिगेड ने रायगड किले से ‘वाघ्या’ कुत्ते के पुतले को 6 जून से पहले हटाने की चेतावनी दी हुई थी।
परंतु जब प्रशासन ने इस चेतावनी की अनदेखी की, तो बुधवार को तेज बारिश का फायदा उठाते हुए संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने खुद ही ‘वाघ्या’ कुत्ते की प्रतिमा को किले से हटा दिया। जिसके बाद धीरे-धीरे राज्य में यह मुद्दा तूल पकड़ने लगा था। शिवसेना ने सबसे पहले ‘वाघ्या’ कुत्ते की प्रतिमा को फिर से पुराने स्थान पर लगाने की मांग की और ऐसा न होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी।
क्या है ‘वाघ्या’ कुत्ते के पुतले का विवाद
छत्रपति शिवाजी महाराज की रायगड किले पर समाधि है। 1927 में इस समाधि का नूतनीकरण किया गया और 1936 में ‘वाघ्या’ कुत्ते के पुतले को समाधि के पीछे की ओर लगाया गया। इतिहासकारों का कहना है कि ‘वाघ्या’ कुत्ते के पुतले को बनाने के लिए उस वक्त इंदौर के तुकोजी होलकर ने 5 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी थी।
हालांकि इतिहास के जानकार इंद्रजित सावंत इससे इक्तफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि ‘वाघ्या’ कुत्ते का असल में शिवाजी महाराज से कुछ भी लेना देना नहीं है। उनका कहना है कि प्रसिद्ध नाटककार राम रमेश गडकरी के ‘राजसंन्यास’ इस नाटक में आये कुत्ते के उल्लेख के आधार पर ‘वाघ्या’ कुत्ते का पुतला छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के पास खड़ा किया गया था।
सावंत का यह भी कहना है कि असल में इंदौर के तुकोजी होलकर शिवाजी महाराज की समाधि के लिए आर्थिक मदद दी थी, परंतु उस वक्त अंग्रेजी के गुस्से से बचने के लिए उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से ‘वाघ्या’ कुत्ते के पुतले के निर्माण की आड़ में यह मदद की।
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