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24 अगस्त 2012

'चांदी के हाथ और लोहे के पैर वालों को ही मिल रहा न्याय'




ग्वालियर।‘चांदी के हाथ और लोहे के पैर वाले ही कोर्ट जा सकते हैं। बहुत महंगा हो गया है न्याय पाना। गरीब को तो न्याय मिलता ही नहीं। इंसाफ के लिए अच्छा वकील चाहिए। जिसकी फीस बहुत ज्यादा होती है।’

22 साल की न्यायिक सेवा के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच से रिटायर होने के मौके पर जस्टिस एसएन अग्रवाल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कानूनी पेशे में मोनोपॉली बढ़ रही है। बड़े वकील मुंहमांगी फीस मांगते हैं। कई काबिल वकीलों को तो मौका भी नहीं मिल पाता। एक यूनिफाइड गाइडलाइन बनना चाहिए।

वे कहते हैं कि नौकरी में चयन के बाद उन्हें भी नियुक्ति के लिए तीन साल तक केस लड़ना पड़ा था। मोटी फीस देकर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की मदद लेना पड़ी। तब जाकर अतिरिक्त जिला-सत्र न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति हुई।

उन्होंने कहा कि सेवा में काफी बंदिशें होती है। काफी संभलकर रहना पड़ता है। लेकिन आज मैं आम जनता में शामिल हो गया हूं। इसी वजह से यह सब कह रहा हूं।

ट्रांसफर आदेश ने आंसू निकाल दिए

जस्टिस अग्रवाल ने कहा दो साल पहले सीजेआई एचएस कपाड़िया ने एक लाइन का ट्रांसफर नोटिस भेजा। मैंने जानना चाहा कि जनहित का कौन सा कारण हैं? जनहित की परिभाषा तय होना जरूरी है। मैं यह सोच-सोच कर रोया कि आखिर मेरा ट्रांसफर क्यों हुआ? उस समय पत्नी गंभीर बीमार थी। उसकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रही थी। ट्रांसफर हुआ तो उसकी देखभाल नहीं कर पाया। कुछ ही महीनों पहले उसकी मौत हो गई।

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