आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

24 अगस्त 2012

ख़बरें हाईकोर्ट से: अंतिम क्रिया में शामिल बेटियों के लिए क्या करेंगे?



जयपुर.हाईकोर्ट ने परिजनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने वाली बेटियों के लिए प्रोत्साहन योजना पर सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा है।

कन्या भ्रूण हत्या और लड़के व लड़की के बीच लैंगिक अनुपात में बढ़ोतरी को चुनौती देने वाली अधिवक्ता एसके गुप्ता की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एनके जैन की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश दिया। याचिका में कहा कि सरकार कई स्तरों पर बालिकाओं के लिए प्रोत्साहन योजना चला रही है।

यदि सरकार ऐसी बेटियों के लिए प्रोत्साहन योजना चलाए, जहां बेटा नहीं होने पर अंतिम संस्कार की पूरी क्रियाएं बेटियों ने की हो। मनुस्मृति में भी बेटी को बेटे के समान बताया। ऐसे बेटा-बेटी में अंतर नहीं करना चाहिए।

मौजूदा समय में केवल बेटे से ही अंतिम संस्कार की क्रिया कराना संभव नहीं है, उस स्थिति में जब बेटे विदेश में रहते हों। इसलिए अंतिम संस्कार की क्रियाएं करने वाली बेटियों के प्रोत्साहन के लिए योजना चलाने के लिए सरकार को निर्देश दें जिससे कन्या भ्रूण हत्या व लिंग परीक्षण की रोकथाम हो सकेगी।

प्रमुख कार्मिक सचिव सहित दो को नोटिस

हाईकोर्ट ने राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण (रेट) में रिटायर जिला व सेशन न्यायाधीश की सदस्य पद पर नियुक्ति के मामले में प्रमुख कार्मिक सचिव व पूर्व जिला व सत्र न्यायाधीश आरके जैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक ने यह अंतरिम आदेश शिशुपाल सिंह की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए दिया।

अधिवक्ता रजनीश गुप्ता ने बताया कि प्रमुख कार्मिक सचिव ने 31 जुलाई 2012 के आदेश से राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण में पूर्व जिला व सेशन न्यायाधीश आरके जैन को तीन साल के लिए सदस्य पद पर नियुक्त किया। राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सदस्य के पद पर रिटायर व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की जा सकती बल्कि सेवारत अफसर को ही नियुक्त किया जा सकता है।

इसलिए पूर्व जिला व सत्र न्यायाधीश आरके जैन को अधिकरण के सदस्य पद पर नियुक्त करना गलत व कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है। याचिका में कहा कि रिटायर होने के बाद जैन ने बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में रजिस्ट्रेशन करवा लिया था और सदस्य पद पर नियुक्ति आदेश के दिन भी वे एडवोकेट थे।

ऐसे में वे किसी सरकारी कार्यालय में नियुक्ति के योग्य नहीं हैं क्योंकि उन्होंने बार काउंसिल से सदस्यता को न तो वापस लिया और न ही एनरोलमेंट को निलंबित करवाया। इसलिए जैन की सदस्य पद पर नियुक्ति को अवैध करार देते हुए नियुक्ति आदेश को निरस्त किया जाए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...