तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 अगस्त 2012
अडवानी ने जब भी पत्रकारिता मन से जो त्वित किया है वोह सच साबित हुआ
दोस्तों भाजपा के वरिष्ठ नेता और पत्रकार रहे स्व्म्सेवक लालकृष्ण अडवानी का पत्रकार मन जब भी जागा है और पत्रकारिता के अनुभव के आधार पर उन्होंने जो कुछ भी लिखा है या कहा है वोह कमोबेश सही साबित हुआ है ..अभी हाल ही में लालकृष्ण अडवानी का पत्रकार मन फिर जागा और उन्होंने कोंग्रेस के लियें जो कुछ कहा वोह तो सामने है लेकिन खुद की पार्टी के लियें भी उन्होंने साफ़ कहा है के प्रधानमन्त्री गेर कोंग्रेसी और गेर भाजपाई होगा ......देश के हालात और पार्टियों की अंतर्कलह गठबंधन दलों की बन्दरबांट अगर हम समझे तो अडवानी का लेख शत प्रतिशत सही साबित होने जेसा लगता है ...यह तो सभी जानते है के कोंग्रेस की दुलमुल निति और कोंग्रेस के वरिष्ट नेताओं की मनमानी के चलते देश की जनता का रुख कोंग्रेस के खिलाफ हो गया है और कोंग्रेस ने इस मामले में डेमेज कंट्रोल के लियें कुछ नहीं कहा है ..कोंग्रेस का एक अकेला राहुल फेक्टर है लेकिन उसे कोंग्रेस इस्तेमाल नहीं कर रही है क्योंकि कोंग्रेस के बूढ़े लोग नहीं चाहते के राहुल जेसे कम उम्र के लडके उन पर सवारी करे .....खेर अडवानी के पत्रकार मन ने जो राजनितिक सर्वे कर सच निकला है उस पर यकीन नहीं करने का कोई कारण नहीं बचता है वेसे भी अब तक के इतिहास में अडवानी ने जो कुछ भी गम्भीरता से कहा है वोह सही साबित हुआ है ..लाकृष्ण अडवानी की आर एस एस प्रष्ठ भूमि कोटा की होने से अनेकों बार पत्रकारिता के कारण उनसे मिलने का अवसर मिला है ..वोह चाहे कितने ही कट्टरपंथी .कितने ही भाजपाई हो लेकिन अन्दर से वोह पत्रकार है और जब कलम उनके हाथ में होती है तो उनका मन डोलने लगता है रो कलम सच उगलने लगती है ..अडवानी पहले ब्रोडकास्ट मिनिस्टर जब बने तब भी कई बार उनके मुंह से सच निकला ..पाकिस्तान जाकर जिन्ना मामले में वोह सच नहीं रोक सके .....अनेकों बार उनके बयान उनका लेखन उनकी अपनी पार्टी के खिलाफ होने से उन्हें मुसीबत में दाल चुका है इस बार फिर उनके लेख ने उनकी पार्टी के प्रधानमन्त्री को न हीं बनने की सम्भावना जताकर पार्टी में कई दुश्मन खड़े कर लियें हैं वेसे चुनाव के वक्त या मतदान के बाद उन्होंने जब भी खुद की पार्टी की जितनी सीट आने की बात कही है लगभग इतनी ही सीटें आई है ......अडवानी के इस लेख ने वेसे तो भूचाल ला दिया है लेकिन सच क्या होता है यह तोव्र्ष २०१३ या वर्ष २०१४ ही बतायेगा ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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