सिक्ख धर्म को मानने वाले सभी अनुयायियों के लिए सिर ढंककर रखने की अनिवार्य परंपरा बनाई गई है।
इस संबंध में विद्वानों की ऐसी मान्यता है कि हमारे शरीर में 10 द्वार होते हैं, दो नासिका, दो आंख, दो कान, एक मुंह, दो गुप्तांग और दशवां द्वार होता है सिर के मध्य भाग में जिसे दशम द्वार कहा जाता है। सभी 10 द्वारों में दशम द्वार काफी महत्वपूर्ण है। दशम द्वार के माध्यम से ही हम परमात्मा की शक्तियों से जुड़ कर पाते हैं। इसी द्वार से शिशु के शरीर में आत्मा प्रवेश करती है। किसी भी नवजात शिशु के सिर पर हाथ रखकर दशम द्वार का अनुभव किया जा सकता है। नवजात शिशु के सिर पर एक भाग अत्यंत कोमल रहता है, वही दशम द्वार है जो बच्चों की उम्र के साथ कठोर होता जाता है।
परमात्मा की भक्ति में दशम द्वार महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। दशम द्वार का संबंध सीधे मन से होता है। मन बहुत ही चंचल स्वभाव का होता है और इसी वजह से मनुष्य परमात्मा में ध्यान आसानी से नहीं लगा पाता। मन को नियंत्रित करने के लिए ही दशम द्वार ढंककर रखा जाता है ताकि हमारा मन अन्यत्र ना भटके और भगवान में ध्यान लग सके।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 अगस्त 2012
सिक्ख धर्म में सिर ढंककर रखना जरूरी है क्योंकि...
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