हिंदू पंचांग के अनुसार विक्रम संवत् 2069 में (सन् 2012) भाद्रपद नामक अधिकमास है। यह अधिक मास 18 अगस्त, शनिवार को प्रारंभ होगा जो 16 सितंबर, रविवार तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इसे पुरुषोत्तम व मल मास भी कहा गया है। इस महीने में भगवान विष्णु का पूजन करने का विशेष महत्व है।
ज्योतिषियों के अनुसार इस बार सूर्य की सिंह संक्रांति में ही भाद्रपद की दो अमावस्याएं व्यतीत हो जाएंगी। पहली अमावस्या के बाद दूसरी अमावस्या तक का मास श्रीपुरुषोत्तम मास होगा। इस प्रकार 2012 में दो भाद्रपद मास होंगे।
क्यों आता है अधिक मास?
32 महीने, 16 दिन, 1 घंटा 36 मिनट के अंतराल से हर तीसरे साल अधिक मास आता है। ज्योतिष में चंद्रमास 354 दिन व सौरमास 365 दिन का होता है। इस कारण हर साल 11 दिन का अंतर आता है जो 3 साल में एक माह से कुछ ज्यादा होता है। चंद्र और सौर मास के अंतर को पूरा करने के लिए धर्मशास्त्रों में अधिक मास की व्यवस्था की है।
क्या रहेगा प्रभाव?
ज्योतिषियों के अनुसार जिस वर्ष भाद्रपद का अधिक मास होता है उस वर्ष धान की उत्पत्ति बहुत अधिक होती है। फसल अच्छी होने से अर्थ व्यवस्था पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे देश के आर्थिक हालात में सुधार होता है तथा व्यापार-व्यवसाय में भी तेजी रहती है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 अगस्त 2012
अधिक मास शनिवार से: कब से कब तक, क्या रहेगा इसका प्रभाव
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NICE POST .AABHAR
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