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24 अगस्त 2012

रोचक बातें: जानिए, कितने प्रकार का होता है अधिक मास?




इन दिनों भाद्रपद का अधिक मास चल रहा है। इसका प्रारंभ 18 अगस्त से हुआ है तथा यह 16 सितंबर को समाप्त होगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार अधिक मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम दिया है इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।

कम ही लोग ये बात जानते होंगे कि अधिक मास भी कई प्रकार का होता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार अलग-अलग कारणों से अधिक मास के 3 प्रकार बताए गए हैं। सामान्य अधिकमास, संसर्प अधिकमास और मलिम्लुच अधिकमास। ज्योतिषियों के अनुसार जो अधिकमास क्षयमास के बिना आता है अर्थात वर्ष में केवल एक अधिकमास आता है वह सामान्य अधिकमास होता है। वर्तमान में जो अधिकमास चल रहा है वह इसी प्रकार का है।

संसर्प अधिकमास क्षयमास के पूर्व आने वाला अधिकमास होता है, वहीं मलिम्लुच अधिकमास क्षयमास के बाद में आने वाला अधिकमास होता है। ये दोनों अधिकमास क्षयमास के साथ ही आते हैं।

क्या रहेगा प्रभाव?

ज्योतिषियों के अनुसार जिस वर्ष भाद्रपद का अधिक मास होता है उस वर्ष धान की उत्पत्ति बहुत अधिक होती है। फसल अच्छी होने से अर्थ व्यवस्था पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे देश के आर्थिक हालात में सुधार होता है तथा व्यापार-व्यवसाय में भी तेजी रहती है।

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