मलसीसर.शमशेर तो मानो ईद की खुशी भूल ही गया था। विभाजन ने उससे यह खुशी भी छीन ली थी। 65 साल बाद यह पहला मौका था जब उसने अपने लोगों के साथ मस्जिद में सजदा किया। बचपन के दोस्त उसके गले मिले और परिजनों के साथ सैवइयों की मीठास चखी।
शमशेरअली कायमखानी के घर इस ईद की खुशी खास थी। उसने अपने पूरे परिवार के साथ 65 साल बाद ईद मनाई। आजादी के बाद पाकिस्तान में बसा शमशेर अली 15 जुलाई को टूरिस्ट वीजा पर गांव आया था। 90 साल के शमशेर अली एवं 80 साल की बीवी सलामत बानो को अरसे के बाद एक साथ देखकर परिजनों के खुशी के आंसू छलक पड़े। यहीं उसने रोजे किए।सुबह नमाज के बाद रिश्तेदारों के घर मिलने भी गया।
शमशेर अली ने बताया कि विभाजन ने दिलों का दर्द बढ़ा दिया। वह पाकिस्तान का होकर रह गया जबकि बीबी भारत में रह गई। बूढ़ी-लड़खड़ाती जुबान में शमशेर ने दर्द बयां किया। कहने लगा कि वह पाकिस्तान में भिखारियों जैसी जिंदगी बसर कर रहा है। बीवी सलामत ने अल्लाह से उम्र के अंतिम दौर में शौहर के साथ रहने की मन्नत मांगी है।
शमशेरअली कायमखानी के घर इस ईद की खुशी खास थी। उसने अपने पूरे परिवार के साथ 65 साल बाद ईद मनाई। आजादी के बाद पाकिस्तान में बसा शमशेर अली 15 जुलाई को टूरिस्ट वीजा पर गांव आया था। 90 साल के शमशेर अली एवं 80 साल की बीवी सलामत बानो को अरसे के बाद एक साथ देखकर परिजनों के खुशी के आंसू छलक पड़े। यहीं उसने रोजे किए।सुबह नमाज के बाद रिश्तेदारों के घर मिलने भी गया।
शमशेर अली ने बताया कि विभाजन ने दिलों का दर्द बढ़ा दिया। वह पाकिस्तान का होकर रह गया जबकि बीबी भारत में रह गई। बूढ़ी-लड़खड़ाती जुबान में शमशेर ने दर्द बयां किया। कहने लगा कि वह पाकिस्तान में भिखारियों जैसी जिंदगी बसर कर रहा है। बीवी सलामत ने अल्लाह से उम्र के अंतिम दौर में शौहर के साथ रहने की मन्नत मांगी है।
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