तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 अप्रैल 2012
राजस्थान के मुसलमानों को बजट मामले में दिए गए विज्ञापन पर तबसरा
आज सुबह सवेरे अख़बार खोला तो देखा अख़बार में राजस्थान सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली सुविधाओं का विज्ञापन था ..विज्ञापन की कीमत लाखों में थी ...बस बहस छिड़ गयी ..मदरसा बोर्ड के आधुनिकीकरण की समीक्षा हुई बजट घोषणा में पेराटीचर्स का मानदेय ऊंट के मुंह में ज़रा के बराबर बढ़ाने को ज्यादती कहा गया ..मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण के लियें बजट भी कम बताया ............बक्फ की बात चली कहने लगे के वक्फ में पहले पचास लाख रूपये अनुदान मिलता था अब अनुदान गायब है करोड़ों करोड़ किराए के पेटे केवल तीन करोड़ रूपये दिए गए है ..वक्फ का एक तरफ तो नया किराया कानून जिसके तहत सरकार पर वक्फ का अरबों रुपया किराया बाक़ी निकलता है उसमे से केवल तीन करोड़ हंसी मजाक ही लगता है ..उस पर वक्फ प्राधिकरण की घोषणा जिसका वक्फ ही उठाएगा । छ सदस्य एक चेयरमेन ना जाने कब नियुक्त होंगे .....हज हाउस का क्या केवल दो करोड़ वोह भी ना जाने कब मिलेंगे ..छात्रवृत्ति तो विधि अनुसार है ..लोग कहते हैं के जब हज हाउस नहीं बना ..हज कमेटी नहीं बनी ..अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम नहीं बना तो फिर यह सब केसे सम्भव है के कोंग्रेस ने अल्पसंख्यकों के लियें बहुत कुछ कर डाला है ...लोगों ने कहा के राजस्थान में पन्द्रह सूत्रीय कार्यसमितियों में मुसलमान सदस्य नामज़द नहीं है ..बैठकें नहीं हो रही है मदरसा बोर्ड के सदस्यों के पद रिक्त है .....अल्पसंख्यक आयोग के दुसरे सदस्य नहीं बनाये गये हैं ............वक्फ सम्पत्तियों पर से कब्जे हटाने में राज्य के कलेक्टर आना कानी कर रहे है .........ऐसे में क्या सरकार का बजट कोंग्रेस के पक्ष में नाराज़ मुसलमानों को अपनी तरफ कर पाएगी बहस छिड़ी तो अभी तक चल रही है लेकिन यह पोस्ट मेने लिखना मुनासिब समझा ताकि आपके ख्यालात भी जान सकूँ और कोंग्रेस केसे नाराज़ मुसलमानों को मनाये इस बारे में हाईकमान तक आप लोगों की बात पहुंचा सकूं ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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