नई दिल्ली. यह दरगाह नई दिल्ली के सरदार पटेल मार्ग पर मालचा मार्ग के अन्दर घने जंगल में स्थित है।
यहां हर बृहस्पतिवार को सैंकडों लोग जिनमें अधिकांश हिन्दू स्त्री,पुरुष और विशेषकर पंजाबी लोग आकर दुआएं मांगते है। ये लोग फूल, अगरबत्ती, चादर, गुड के अलावा जलती सिगरेट भी दरगाह पर चढ़ाते हैं।
दरगाह शरीफ हजरत ख्वाजा मोनुद्दीन चिश्ती उर्फ बरने वाला बाबा के गद्दीनशीन एम अली खान साबरी ने उपरोक्त जानकारी देते हुये बताया कि जंगल में स्थित यह दरगाह 800 वर्ष पुरानी है, जिस पर लोगों की आस्थाएं है कि यहां आकर वह जो दुआएं मांगेंगे अवश्य पूरी होंगी।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, पी वी नरसिंह राव और अनेक फिल्म कलाकर भी इस दरगाह पर मन्नत मांगने आ चुके हैं। उनकी फोटों भी वहां लगी हुयी है। जंगल में होने के कारण दरगाह सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक ही तिजारत के लिये खुलती है। इसके बाद वहां कोई नहीं रहता।
यह पूछे जाने पर कि दरगाह पर मांगी जाने वाली दुआओं में सबसे ज्यादा किस विषय पर होती है उन्होंने बताया कि बच्चों की दुआएं मांगने वाली महिलाओं की संख्या सर्वाधिक होती है।
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