
हर इंसान की उम्र समय के साथ बढ़ती है। बढ़ती उम्र को रोक पाना संभव नहीं है। लेकिन एजिंग के साइन तथा बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से जरूर बचा जा सकता है। आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियों का वर्णन है जो ढलती उम्र के साथ भी इंसान की सेहत, काया व मन को तंदुरुस्त रखती है। ऐसी ही एक औषधि है अश्वगंधा का ये चूर्ण इसे नीचे लिखी विधि से बनाकर खाएं आप का यौवन बना रहेगा।
अश्वगंधा, आंवला, हरड़, तीनों के अलग-अलग तैयार किए गए और महीन कपड़े से छने चूर्ण की 100-100 ग्राम मात्रा एवं 400 ग्राम पिसी मिश्री को आपस में मिलाकर साफ सूखी शीशी में भरकर रख लें।
प्रयोग विधि- इस चूर्ण की एक चम्मच मात्रा गरम दूध से सुबह या शाम लेते रहने से शरीर की सातों धातुएं पुष्ट रहती हैं। नस नाडिय़ों और वात- वाहिनियों को शक्ति मिलती है। शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है जिससे शरीर में यौवन की बहार रहती है।
नोट- इस चूर्ण की एक बार में उतनी ही मात्रा में बनाएं जितनी की 20-25 दिन तक चल जाए।
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