रामायण में अब तक आपने पढ़ा...लक्ष्मणजी ने सबके सैकड़ों टुकड़े कर डाले। फिर उन्होंने अपने बाणों से प्रहार किया और रथ को तोड़कर सारथि को मार डाला। उन्होंने रावण पर कई सौ बाणों से हमला किया। वह बेहोश हो गया लेकिन कुछ समय बाद उसने उठकर वह शक्ति चलाई जो उसे ब्रह्माजी ने दी थी। ब्रह्माजी की दी हुई शक्ति लक्ष्मणजी की ठीक छाती में लगी। वीर लक्ष्मणजी व्याकुल होकर गिर पड़े। रावण लक्ष्मणजी को वहां से उठाने का प्रयास करने लगा अब आगे..
यह देखकर हनुमानजी कठोर वचन बोलते हुए दौड़े। हनुमानजी के आते ही रावण ने उन पर बहुत भयंकर घूंसे से प्रहार किया। हनुमानजी संभल गए और क्रोध में रावण को एक घूंसा मारा वह गिर पड़ा। हनुमानजी बोले धित्कार है मुझ पर अगर जो तू अब भी जीवित रह गया। ऐसा कहकर और लक्ष्मणजी को उठाकर हनुमानजी रामजी के पास ले आए। यह देखकर रावण को आश्चर्य हुआ। रामजी ने धीरे से लक्ष्मणजी के कानों में कहा लक्ष्मण तुम काल के भक्षक और देवताओं के रक्षक हो।
ये बात सुनते ही लक्ष्मणजी फिर धनुष बाण लेकर दौड़े और बहुत शीघ्रता से शत्रु के सामने पहुंचे। वहां रावण मूच्र्छा से जागकर कुछ यज्ञ करने लगा। यहां विभीषणजी को यह खबर मिली और उसने तुरंत जाकर रामजी को सुनार्र्ई। रावण एक यज्ञ कर रहा है। उसके सिद्ध होने पर वह अभागा सहज ही नहीं मरेगा। तुरंत वानर योद्धाओं को भेजिए जो यज्ञ विध्वंस करें। जिससे रावण युद्ध में आए। सुबह होते ही हनुमान और अंगद आदि सब दौड़े। वे सभी लंका पर जा चढ़े और रावण के महल में जा घुसे।
ज्यो ही उसको यज्ञ करते देखा, त्यो ही सब वानरों को बहुत गुस्सा आया। वे सभी वहां जाकर बोले अरे निर्लज रणभूमि से घर भाग आया और यहां आकर बगुले का सा ध्यान लगाकर बैठा है। ऐसा कहकर अंगद ने लात मारी। जब उसने आंखें नहीं खोली तो वानर क्रोध करके स्त्रियों को बाल पकड़कर घर से बाहर ले आए। वे रावण को पुकारने लगी। तब रावण काल के सामान क्रोधित हो उठा और वानरों को पैर पकड़कर पटकने लगा। इसी बीच वानरों ने यज्ञ विध्वंस कर डाला। यज्ञ विध्वंस करके वे सभी वानर रामजी के पास लौट आए। रावण क्रोधित होकर जब वापस युद्धभूमि जाने लगा तो गिद्ध आकर उसके सिर पर बैठने लगे।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 अप्रैल 2012
हनुमानजी से युद्ध के बाद रावण क्यों नहीं लौटा?
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एक और अच्छी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंध्यान दिलाती पोस्ट |
सुन्दर प्रस्तुति...बधाई
दिनेश पारीक
मेरी एक नई मेरा बचपन
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