जैन धर्म के अनुसार वर्धमान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान श्री आदिनाथ की परंपरा में चौबीस वें तीर्थंकर हुए थे। वर्धमान महावीर का जन्मदिन जैन अनुयायियों द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इस बार महावीर जयंती का पर्व 4 (पंचांग भेद के कारण कहीं-कहीं 5 अप्रैल) अप्रैल, बुधवार को है।
जैन धर्म के अनुसार भगवान महावीर का जन्म वैशाली के एक क्षत्रिय परिवार में राजकुमार के रूप में चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को हुआ था। इनके बचपन का नाम वर्धमान था, यह लिच्छवी कुल के राजा सिद्दार्थ और रानी त्रिशला के पुत्र थे। जैन धर्म के धर्मियों का मानना है कि वर्धमान जी ने घोर तपस्या द्वारा अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी जिस कारण वह विजेता और उनको महावीर कहा गया और उनके अनुयायी जैन कहलाए। महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्मावलंबी प्रात: काल प्रभातफेरी निकालते हैं तथा भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा का आयोजन किया जाता है। इसके पश्चात महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है।
महावीर जी ने अपने उपदेशों द्वारा समाज का कल्याण किया उनकी शिक्षाओं में मुख्य बाते थी कि सत्य का पालन करो, अहिंसा को अपनाओ, जिओ और जीने दो। इसके अतिरिक्त उन्होंने पांच महाव्रत, पांच अणुव्रत, पांच समिति तथा छ: आवश्यक नियमों का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया, जो जैन धर्म के प्रमुख आधार हुए।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 अप्रैल 2012
महावीर जयंती 4 को, उपदेशों से किया समाज का कल्याण
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एक और अच्छी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंध्यान दिलाती पोस्ट |
सुन्दर प्रस्तुति...बधाई
दिनेश पारीक
मेरी एक नई मेरा बचपन
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