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09 फ़रवरी 2012

यह कोई ऐसा-वैसा उल्लू नहीं है जनाब, जुदा है इसका अंदाज

इंदौर। ग्राम दतोदा में वन विभाग ने दुर्लभ प्रजाति के उल्लू को बचाया है। यह दो सटे हुए मकानों की दीवारों में फंसा हुआ था। इसकी लंबाई करीब पौने दो फीट है और वजन पांच किलो से ज्यादा है। देखने में काफी डरावना है।

रालामंडल रेंजर प्रदीप पाराशर को सूचना लगने पर रेसक्यू को भेजा गया। इसे सकुशल निकालने के बाद रालामंडल में उपचार के लिए रखा है। इसे जीव विज्ञान की भाषा में ग्रेट हार्न आउल कहते हैं। विभाग की विलुप्तप्राय पक्षियों की सूची में पहले स्थान पर है।

इतने बड़े आकार का उल्लू अब नहीं दिखता है। पक्षी विशेषज्ञ अजय गढ़ीकर भी रेसक्यू के साथ थे। प्रजाति में उल्लू के कान और आंख बड़ी होती है। यह खरगोश के आकार तक के जानवरों पर भी हमला करता है। इसे ठीक होने बाद चोरल के जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।

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