रालामंडल रेंजर प्रदीप पाराशर को सूचना लगने पर रेसक्यू को भेजा गया। इसे सकुशल निकालने के बाद रालामंडल में उपचार के लिए रखा है। इसे जीव विज्ञान की भाषा में ग्रेट हार्न आउल कहते हैं। विभाग की विलुप्तप्राय पक्षियों की सूची में पहले स्थान पर है।
इतने बड़े आकार का उल्लू अब नहीं दिखता है। पक्षी विशेषज्ञ अजय गढ़ीकर भी रेसक्यू के साथ थे। प्रजाति में उल्लू के कान और आंख बड़ी होती है। यह खरगोश के आकार तक के जानवरों पर भी हमला करता है। इसे ठीक होने बाद चोरल के जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)