मिलाद-उन-नबी मुस्लिम संप्रदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे बारा वफात भी कहते हैं। इस दिन नबी मोहम्मद सल्ल का जन्म भी हुआ था और उनकी वफात (मृत्यु) भी। मुस्लिम पंचांग के अनुसार यह त्योहार रबी उलावल महीने की बारह तारीख को मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 5 फरवरी, रविवार को है।
इस दिन सभी मुस्लिम देशों सहित भारत के भी अनेक भागों में जुलूस निकाले जाते हैं, जिसे जुलुसे मोहम्मदी कहा जाता है। इसकी तैयारियां लोग बहुत पहले से करते हैं। इस दिन लोग खुदा का शुक्रअता करते हैं कि उसने हमें ऐसा पैगंबर अता किया जिस नबी की चर्चा उनके जन्म के पहले ही दिन से थी। नबी सल्ल अलैह वसल्लम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उनका लाया हुआ कुरान हमेशा और सब के लिए हैं।
इस दिन जलसों में कुरान-ए-पाक की तलावत की जाती हैं। नातें-ए-शरीफ पढ़ी जाती है और सल्ल का जिक्र किया जाता हैं। इस दिन इबादत का विशेष महत्व है। इस दिन लोग दरूद-शरीफ भी पढ़ते हैं। रबी उलावल का पूरा महीना इबादत का है, इस महीने में ऐसी महफिलों का आयोजन किया जाता है, जिसमें नबी सल्ल की जीवनी का बयान किया जाता हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 फ़रवरी 2012
मिलाद-उन-नबी आज, जानें क्या है इसका महत्व
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)