60 साल पहले जागीरदार ने उस जमीन को एक किसान नबीबख्श को बेच दिया, जिस पर यह आम का पेड़ लगा था। लेकिन इस सौदे में यह शर्त डाल दी कि पेड़ शंकरलाल के परिवार का भी रहेगा। शंकरलाल और नबीबख्श के परिवारों ने इस पेड़ के आम का बंटवारा करना तय किया।
यह आज भी जारी है। नबीबख्श के पुत्र अख्तर हुसैन परमाणु बिजलीघर में नौकरी करते थे। वे कहते हैं आम का यह बंटवारा दोनों परिवारों में मेल-जोल का जरिया भी है। शंकरलाल के पुत्र रमेश दशोरा मानते हैं, कि यह दोनों परिवारों के बीच ऐसी परंपरा बन गई है, जिसे हमारी अगली पीढ़ी भी जारी रखना चाहेगी।
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