इसकी कॉपी मीडिया को भी उपलब्ध कराई गई है। उधर बाबूलाल नागर का कहना है कि उन्होंने धमकी नहीं दी। इस्तगासा राजनीति से प्रेरित है। दिनेश ने इस्तगासे में कहा है कि 15 फरवरी को पंचायत समिति दूदू में जन सुनवाई और समस्या समाधान का कार्यक्रम था।
नागर स्थानीय विधायक होने के बावजूद वहां नहीं आए थे। इस पर स्थानीय लोग नागर के आटा पिसाई और खरीद ठेकों में गड़बड़ी आदि खबरों की चर्चा कर रहे थे। दिनेशचंद्र भी वहां मौजूद था।
वहां चर्चाएं सुन रहे नागर के करीबी शिवजीराम खुरडिया ने नागर से इसकी शिकायत कर दी। इस्तगासे के मुताबिक 17 फरवरी को शिवजीराम खुरडिया का दिनेश के पास फोन आया। उसने खादी राज्यमंत्री नागर से बात कराई। फोन रिसीव करते ही नागर ने उन्हें गालियां व धमकियां देना शुरू कर दिया। थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गया तो मंत्री का नाम देखकर पुलिस ने इनकार कर दिया।
मंत्री का व्यवहार गैर जिम्मेदाराना : पूनिया
भाजपा के प्रदेश महामंत्री सतीश पूनिया ने नागर के इस व्यवहार की निंदा की है। उन्होंने कहा कि एक मंत्री के रूप में किसी व्यक्ति से इस तरह अभद्र भाषा में बात करना नागर को शोभा नहीं देता। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेकर नागर पर कार्रवाई करनी चाहिए।
मैंने गालियां नहीं दीं, शरारत है : नागर
बाबूलाल नागर का कहना है कि मैंने किसी को न तो फोन पर गालियां दीं और न ही धमकाया। मेरे खिलाफ इस्तगासा राजनीतिक कारणों से पेश किया गया है। शिकायतकर्ता के खिलाफ दूदू में समुदाय विशेष के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल का मुकदमा दर्ज है। जिस दिनेश की बात हो रही है, उसने 15 फरवरी को जनसुनवाई के दौरान कांग्रेस के दिल्ली व राज्य के वरिष्ठ नेताओं के लिए असभ्य भाषा बोलने के साथ ही मुझे भी गालियां दी थीं। मैं मौके पर नहीं था, वहीं के कुछ लोगों ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
सीडी में आपत्तिजनक भाषा
.‘‘हैलो, बाबूलाल नागर बोल रहा हूं। तेरा क्या चुरा लिया रे मैंने? तेरी, जुबान खींचकर सड़क पर डाल दूंगा। आइंदा एक शब्द बोला तो जान निकाल दूंगा तेरी..?।
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