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06 जनवरी 2012

जब मेवाड़ की धरती पर 'खिलज़ी' को खानी पड़ी थी मात!



यूं तो मेवाड़ का इतिहास किसी से छुपा नहीं है फिर भी कुछ ऐसी घटनाएं हैं जिन्होंने मेवाड़ के इतिहास को अद्भुत बना दिया है राजपूताना में ऐसे-ऐसे शूरवीर रहे हैं जिन्होंने अपनी जान तो दे दी लेकिन कभी किसी की दासता स्वीकार ना की| पेश ऐसे ही शूरवीरों की संक्षिप्त और रोचक जानकारी:-

महारानी पद्मिनी

कहा जाता है कि यहां की महारानी पद्मिनी की खूबसूरती और बुद्धि के चर्चे चारों ओर थे, उनकी सुन्दरता की तारीफ जब अलाउद्दीन खिलजी से सुनी तो उसका मन महारानी को देखने का हुआ तब महारानी ने लोटस कुण्ड में अपनी परछाई उसे दिखाई,परछाई में जब उसने महारानी की सुन्दरता देखी तो उसका मन उन्हें वहां से ले जाने का हुआ लेकिन वह ऐसा ना कर सका क्योंकि महारानी और महल की अन्य रानियां एक- एक कर अपने आपको आग के हवाले करती गईं और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली|

राणा सांगा

मेवाड़ की शान राणा सांगा प्रमुख शासकों में से एक थे जिन्होंने इस राज्य पर 1509-27 ई. तक राज किया, ये एक ऐसे वीर थे जिनके शरीर पर 80 घाव होते हुए और एक पांव से अपंग होते हुए भी बाबर के खिलाफ युद्ध में लड़े|

महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप जिनके पराक्रम का आज भी लोग लोहा मानते हैं ये एक ऐसे शासक थे जिन्होंने कभी अकबर की दासता स्वीकार नहीं की और बिना राजघराने के भी राज करते रहे!

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