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05 जनवरी 2012

हे भगवान, गाय का पेट है या कचरा पात्र

कोटा. पॉलिथीन का उपयोग रोकने की जिम्मेदारी भी निगम की है और निगम की गौशाला में जब पॉलिथीन खाकर गाय को मरते देखा तो खुद महापौर व समिति अध्यक्ष भावुक हो उठी। निगम आज तक इस पर सख्ती से प्रतिबंध नहीं लगा सकी। केवल शुरू में अभियान चलाए और फिर चुप्पी साध ली।

सख्ती हुई तो शहरवासी भी पालना करने लगे और सख्ती खत्म होते ही नियम तोड़ने लगे। निगम व जनता दोनों की लापरवाही का खामियाजा प्रकृति व मूक पशु भुगत रहे हैं। गुरुवार को एक गाय का पोस्टमार्टम किया तो उसके पेट से 20 किलो कचरे का ढेर निकला।

बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में गायों को ठंड से बचाने के लिए लगाए गए तिरपाल देखने के लिए महापौर डॉ. रत्ना जैन, गौशाला समिति अध्यक्ष शीलू विजयवर्गीय व आयुक्त भवानीसिंह पालावत गुरुवार को वहां पहुंचे। वहां इंतजाम तो संतोषजनक थे, लेकिन वहां पर एक गाय मृत पड़ी थी जिसका डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम किया जा रहा था। डॉक्टर ने बताया कि इसकी मौत पॉलीथिन खाने के कारण हुई है। जब पोस्टमार्टम किया गया तो उसके पेट में से कचरे का ढेर निकला। जिसमें पॉलीथिन, कपड़े, टायर, बोरी के टुकड़े शामिल थे।

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