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03 जनवरी 2012

इस साल फिर धोखे से हमला करेगा चीन !!!

सन् 1962 की तरह चीन इस साल भारत पर अचानक हमला कर सकता है। उस समय चीन ने भारत को हिन्दी-चीनी भाई-भाई का धोखा देकर हमला किया था। यह जानकारी एक अंग्रेजी वेबसाइट जीटू बुलेटिन ने रक्षा विश्लेषकों के हवाले से दी है।

इस वेबसाइट के मुताबिक, विश्लेषकों का मानना है कि चीन भारत पर इस साल अचानक सैन्य आक्रमण कर सकता है। आज भारत और चीन के बीच संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद अहम मुद्दा बन गया है। यही कारण है कि जब संयुक्त ऊर्जा परियोजना के तहत भारत ने वियतनाम के साथ दक्षिण चीन सागर में गतिविधि शुरू की तो चीन ने कड़ा ऐतराज जताया था।

भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार

हाल ही में एक भारतीय अधिकारी के साथ चीनीओं ने दुर्व्यवहार किया। राजनायिक बालचंद्रन चीनी कोर्ट रूम में छह घंटे तक फंसे रहे, पर चीनी लोगों ने उन्हें न तो भोजन करने दिया और न ही दवा खाने दी। डायबिटीज के मरीज बालचंद्रन ने कई बार खाने की मांग की, लेकिन उन्हें खाना नहीं मिला। बालचंद्रन जब बाहर निकले तो उनका सामना गुस्साए चीनियों और डरे हुए भारतीय व्यापारियों से हुआ। वे बेहोश होकर गिर गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा था।

उधर, चीनी कारोबारियों ने भारतीय कारोबारियों को बंधक बना अमानवीय यातनाएं दी। दीपक रहेजा और श्यामसुंदर अग्रवाल नाम के दोनों कारोबारियों का दावा है कि जब वे चीनी कारोबारियों के बंधक थे, उस समय उन्हें यूरीन पीने और मानव मल खाने को मजबूर किया गया।

नहीं छोड़ा कब्जे वाला भारतीय क्षेत्र

बताते चलें कि चीन ने 1962 जिस भारतीय क्षेत्र पर कब्जा किया था, उसे आज भी नहीं छोड़ा है। सीमा पर लगातार सैन्य गतिविधियां रखने वाला चीन समय समय पर भारत को धमकाता भी रहता है। विश्लेषकों के मुताबिक, चीन दावा करता है कि भारत-चीन सीमा की लंबाई 2,000 किलोमीटर है, जबकि भारत का दावा है कि यह 4000 किलोमीटर है। चीन अपनी सीमा सिक्किम से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक मानता है।

अरुणाचल सीमा पर जारी हैं सैन्य गतिविधियां

दक्षिण-एशिया मामलों के जानकार भास्कर राव के मुताबिक, "सीमा मुद्दा चीन की स्थायी चाल है। भारत ने अक्साई चीन पर दावा छोड़ कर अरुणाचल प्रदेश को चीन की महत्वाकांक्षा से मुक्त कराना चाहता था। पर चीन ने अरुणाचल प्रदेश से जुड़ी सीमा पर अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा कर बता दिया है कि वह इस प्रदेश पर अपना दावा नहीं छोड़ेगा।

राव बताते हैं कि, "सन् 1963 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से चीन को पाक अधिकृत कश्मीर के 5,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक हिस्सा सौंप दिया था। चीन इसका इस्तेमाल अरब सागर और खाड़ी क्षेत्र में पहुंचने के लिए कर रहा है।"

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