एक अनुमान के मुताबिक मंदिर के एक ही तहखाने से करीब 50 हजार करोड़ रुपये मूल्य का खजाना मिला था। इस दौलत के दम पर पद्मनाभा स्वामी मंदिर ट्रस्ट तिरुपति बालाजी ट्रस्ट को दौलत के मामले में पीछे छोड़कर देश का सबसे धनवान ट्रस्ट का खिताब हासिल कर सकता है। गौरतलब है कि तिरुपति बालाजी ट्रस्ट के पास करीब 50 हजार करोड़ की संपत्ति बताई जाती है।
18 वीं शताब्दी में तत्कालीन त्रावणकोर राज्य के राजा मार्तंड वर्मा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। अब इस मंदिर की देखभाल ट्रस्ट करता है। ट्रस्ट का कामकाज शाही खानदान के लोग देखते हैं।
मंदिर को इसकी भव्य स्थापत्य कला और ग्रेनाइट के स्तंभों की लंबी श्रृंखला के साथ हजार सिर वाले शेष नाग पर लेटी हुई भगवान विष्णु की प्रतिमा के लिए जाना जाता है। पद्मानाभास्वामी (विष्णु) मंदिर के चार में से दो तहखानों को पिछले 130 वर्षों से खोला नहीं गया था।
लोकगाथाओं में जिक्र है कि मंदिर की दीवारों और तहखानों में राजाओं ने खासे हीरे- जवाहरात छिपा दिए थे। स्वतंत्रता के बाद त्रावणकोर राजघराने के लोगों के नेतृत्व में एक ट्रस्ट मंदिर का कामकाज देखती है। इस राजघराने के मौजूदा उत्तराधिकारी उथ्थरादान थिरूनाल मार्तंड वर्मा इस ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं।
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