नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश के 42 फीसदी बच्चों का वजन कम होने को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि बेहतर आर्थिक विकास के बावजूद देश में कुपोषण काफी ऊंचे स्तर पर है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
साथ ही उन्होंने कहा कि कुपोषण राष्ट्रीय शर्म का विषय है। प्रधानमंत्री ने यहां कुपोषण पर एक रिपोर्ट 'हंगामा' जारी की। उन्होंने इस अवसर पर जुटे लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा, "इस सर्वेक्षण का परिणाम निराशाजनक और उत्साहवर्धक दोनों ही है।"
उन्होंने कहा, "मैंने पहले भी कहा है और इसे फिर दोहराना चाहूंगा। बेहतर विकास दर्ज करने के बाद भी देश में कुपोषण का स्तर अस्वीकार्य रूप से उच्च स्तर पर है। हम इस दर को तेजी से घटाने में भी कामयाब नहीं हुए।" सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और समाज का स्वास्थ्य उसके बच्चों में निहित होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "सर्वेक्षण में कुपोषण का स्तर काफी ऊंचा बताया गया है, लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि 100 फोकस जिलों में पिछले सात साल में पांच में से एक बच्चा स्वीकार्य स्तर का वजन हासिल कर चुका है। लेकिन मुझे चिंता इस बात की है कि 42 फीसदी बच्चों का वजन अभी भी कम है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।"
उन्होंने इस सर्वेक्षण के लिए सिटिजंस एलायंस अगेंस्ट मलन्यूट्रीशन, नंदी फाउंडेशन, महिंद्रा एंड महिंद्रा और अन्य साझेदारों तथा सहयोगियों की सराहना की।
उन्होंने कहा, "सर्वेक्षक नौ राज्यों के 112 जिलों के 73 हजार से अधिक घरों में गए। एक लाख से अधिक बच्चों और 74 हजार माताओं से पूछताछ कर ब्यौरा लेना असामान्य कार्य है।" उन्होंने कहा कि देश में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या लगभग 16 करोड़ है और वे भविष्य में वैज्ञानिक, किसान, शिक्षक और कामगार जैसे पैशे में जा सकते हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 जनवरी 2012
भूखा है देश का 42 प्रतिशत भविष्य, प्रधानमंत्री शर्मिंदा
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