गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल सुबह 8 बजे राजभवन में ध्वजारोहण किया। इसके बाद वे 9 बजे पुलिस परेड ग्राउंड पर गणतंत्र दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में शामिल हुए। उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने 9.05 बजे गार्ड आफ ऑनर लिया। परेड की सलामी लेने के बाद करीब 9.30 बजे उन्होंने भाषण शुरू किया।
भाषण 16 पेज का था, जिसे वे 10 मिनट ही पढ़ पाए थे कि उनकी आवाज धीमी होने लगी। एकाएक उन्होंने आंखें बंद कर ली। लगभग निढाल अवस्था में पीछे की ओर झुके। पास ही खड़े एडीजी नक्सल ऑपरेशन रामनिवास व एडीसी ने उन्हें सहारा देकर कुर्सी पर बैठाया। वहां मौजूद डाक्टरों ने उनकी तीमारदारी की।
जब राज्यपाल थोड़ा सामान्य हुए तो रामनिवास ने उनसे इजाजत चाही कि अधूरा भाषण मुख्य सचिव पी. जॉय उम्मेन से पढ़वा लिया जाए? राज्यपाल ने इनकार किया। थोड़ी देर में सामान्य होने पर कुर्सी पर बैठकर अपना भाषण पूरा किया। उन्होंने खेद भी जताया। उन्होंने राज्य के पांच बच्चों को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया।
इस बीच वे सहज नहीं लग रहे थे। तब डाक्टरों ने उन्हें कार्यक्रम छोड़कर उन्हें अस्पताल चलने की सलाह दी। राज्यपाल अपनी गाड़ी में ही अस्पताल गए। वहां भी व्हील चेयर की मदद नहीं ली। खबर मिलते ही सुपरिटेंडेंट डॉ. विवेक चौधरी व मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीबी गुप्ता डाक्टरों के दल के साथ वहां मौजूद थे।
डॉक्टर गुप्ता ने मीडिया को बताया कि ब्लड प्रेशर लो हो जाने की वजह से चक्कर आ गया था। वे कुछ समय के लिए मूर्छित हो गए थे। उनकी शुगर सामान्य है। अस्पताल में राज्यपाल की पत्नी व प्रथम महिला सुष्मिता दत्त उनके साथ थीं।
राज्यपाल की कुशलक्षेम जानने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, मुख्य सचिव पी. जॉय उम्मेन, मुख्यमंत्री के सचिव अमन सिंह, सुबोध सिंह, डीजीपी अनिल नवानी भी पहुंचे।
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