नई दिल्ली: लोकसभा में लोकपाल बिल से जुड़े संवैधानिक संशोधन गिर जाने के बाद सरकार के लिए लोकपाल बिल को राज्यसभा से पारित कराना मुश्किल हो रहा है. राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है.
राज्यसभा में कुल 243 सांसद हैं. सामान्य बहुमत से लोकपाल बिल पास कराने के लिए सरकार के पास होने चाहिए 122 सांसद. यूपीए इस आंकड़े से बहुत दूर है.
कांग्रेस के 71, डीएमके के 7, एनसीपी के 7, तृणमूल के 6, नेशनल कॉन्फ्रेंस के 2 और आरएलडी के 1 सांसद हैं. इसके अलावा सरकार के पास 4 छोटी पार्टियों के 4 सांसदों का भी समर्थन है. जिससे ये आंकड़ा 98 का बैठता है.
अगर बाहर से समर्थन देने वाली बीएसपी के 18, एसपी के 5 और आरजेडी के 4 सांसद समेत 27 वोटों को सरकार अपने पाले में पक्का माने तो आंकड़ा 125 का होता है.
सरकार के लोकपाल बिल से तीनों ही पार्टियां नाराज हैं. अगर लोकसभा की तरह मायावती, मुलायम और लालू की पार्टियों के सांसद सदन से बाहर चले गए तो सरकार फंस जाएगी.
ऐसे में राज्यसभा की सदस्य संख्या गिरकर आ जाएगी 216 पर और सरकार को बिल पास कराने के लिए कम से कम 109 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी.
बीजेपी भी इशारे कर रही है कि लोकसभा में तो लोकपाल पास होने दिया लेकिन राज्यसभा में सरकार के लिए इतना आसान नहीं होगा. मुश्किल में सरकार आठ नामांकित सदस्यों के समर्थन की कोशिश कर सकती है.
अगर राज्यसभा में विपक्ष की चली तो बिल या तो पास नहीं होगा या अगर पास हुआ तो संशोधन के साथ होगा. ऐसे में या तो बिल संशोधनों के साथ दोबारा लोकसभा को भेजा जाएगा या सरकार इस बिल को लेकर संसद के दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुला सकती है. जहां इसे सामान्य बहुमत से पास करना जरूरी होगा
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