10 सितंबर, 1945 को एक ऐसी घटना घटित हुई, जिसने दुनियाभर के जीव विज्ञानियों के चकित कर दिया। अमेरिका के फ्रूटा कोलोरेडो में एक मु्र्गे ने बिना सिर के कई महीनों तक जीवित रहकरपूरी दुनिया को चकित कर दिया था।
हुआ कुछ यूं कि फ्रूटा कोलोरेडो में रहने वाले किसान लोयड ऑल्सन ने अपने साढ़े पांच महीने के मुर्गे माइक को खाने के लिए कुल्हाड़ी से उसकी गर्दन काट दी। लेकिन ऑल्सन उस वक्त चकित रह गया, जब माइक सिर कटने के बाद भी जीवित था। इस मामले में अदुभुत और हैरान करने वाली बात यह थी कि धड़ से सिर अलग होने के बावजूद माइक 18 महीनों तक जीवित रहा।
माइक के जीवित रहने की प्रबल इच्छा देखकर ऑल्सन ने उसे खाना और पानी पिलाने का तरीका ढ़ूंढा। ऑल्सन ने "आईड्रॉपर" के जरिए माइक को खाना खिलाना और पानी पिलाना शुरू कर दिया।
लगभग एक हफ्ते के बाद ऑल्सन, माइक को लगभग 250 मील दूर सॉल्ट लेक स्थित ऊटाह यूनिवर्सिटी लेकर गए। बिना सिर के जीवित मुर्गे को देखकर उलझन में पड़े वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि कुल्हाड़ी के वार से माइक के कंठ की रक्तवाहिनी नहीं कट पाई।
वैज्ञानिकों ने बताया कि रक्तवाहिनी के अंत में जमे एक थक्के के कारण माइक का अधिक खून नहीं बहा और वह जीवित बच गया। हालांकि उसके कटे हुए सिर का अधिकतर भाग चोंच थी, और उसके ब्रेन स्टेम और एक कान अभी भी उसके शरीर पर ही था। सिर कटने के बाद के अपने जीवनकाल में माइक का वज़न 2, 1/2 lbs से 8 lbs तक बढ़ गया था।
18 महीने तक जीवित रहने के बाद एक रात माइक की दम घुटने का कारण मौत हो गई। 18 महीनों के आश्चर्यजनक जीवनकाल में माइक को न्यूयार्क, अटलांटिक सिटी, लॉस एंजिल्स और सैन डियागो में आयोजित की गई प्रदर्शनी में दिखाया गया, जहां उसे देखने के लिए 25 सेंट की टिकट भी रखी गई थी। इस 'आश्चर्यजनक मु्र्गे का 10,000 डॉलर का इंश्योरेंस भी किया गया था।
majaa aa gayaa padhkar.
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