करगिल युद्द में दुश्मन को नाको चबाने वाली बोफोर्स तोप के लिए अब भारत को स्वीडन जैसे देश का मुंह ताकने की जरुरत नहीं रह गई है देश की कानपुर आयुध फैक्ट्री में पूरी तरह से स्वदेशी बोफोर्स गन बनकर तैयार हो गई है देसी इंजीनियरों के मुताबिक यह तोप बोफोर्स तोप से कहीं बेहतर है।
इस देसी बोफोर्स तोप का नाम पी-1(55) रखा गया है। आपको बता दें कि 1984 से 1990 के बीच स्वीडन से करीब 400 बोफोर्स तोपो का आयात किया गया था लेकिन विवादों के कारण इसका और आयात नहीं हो सका। इस तोप ने करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। रक्षा मंत्रालय और आयुध निर्माण बोर्ड के बीत तमाम रिसर्च और प्रोयग के बाद ऐसी 414 तोप बनाने को लेकर सहमति हो गई है।
यह गन एक मिनट में आठ राउंड फायर कर सकती है इसे किसी भी मोर्चे पर आसानी से तैनात किया जा सकता है। इसका 155 एमएम का गोला तीस किलोमीटर तक निशाना लगाने में सक्षम है जिसकी रेंज 40 किलोमीटर तक बढ़ाई जा सकती है। इस तोप की खास बात यह है कि इसका एक भी पुर्जा आयात नहीं किया गया है सारे पुर्जे देश में ही बनाए गए हैं।
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